अमरीका में राष्ट्रपति बराक ओबामा से बातचीत के बाद उन्होंने एक पत्रकार वार्ता में ये बातें कहीं.
उन्होंने कहा, “पाकिस्तान को अपना घर संभालना होगा. ऐसा बीते कुछ वर्षों में नहीं किया गया जिसका नतीजा आज हम देख रहे हैं, पूरी कौम भुगत रही है.”
दोनों नेताओं के बीच बातचीत में ओबामा ने नवाज़ शरीफ़ से पूछा कि मुंबई हमलों के दोषियों के खिलाफ पाकिस्तान ने अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की.
ओबामा ने नवाज़ शरीफ से दहशतगर्दी से निपटने की रणनीति और डॉक्टर शकील अफ़रीदी के बारे में बात की.
"दोनों देश इस बात पर सहमत हैं कि हमें चरमपंथ रोकने के लिए ऐसे नए तरीके ढ़ूंढने होंगे जिससे पाकिस्तान की संप्रुभता को ठेस नहीं पहुंचे."
-बराक ओबामा
मुलाक़ात में कोई बड़े फ़ैसले या एलान तो नहीं हुए लेकिन आर्थिक और सामरिक मामलों पर बातचीत हुई. दोनों ही नेताओं ने जो भी संवेदनशील मामले थे उन्हें भी टेबल पर रखा.
पाकिस्तान ने ड्रोन हमलो का भी मुद्दा काफ़ी ज़ोर-शोर से उठाया और कहा कि इन मुद्दों को उठाकर वो किसी पर एहसान नहीं कर रहे हैं. पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की संप्रभुता और सम्मान के लिए जो ज़रूरी था वो उन्होंने किया.
ड्रोन हमले
बैठक के बाद ओबामा ने अपने वक्तव्य में पाकिस्तान को सहयोग का आश्वासन तो दिया लेकिन ड्रोन हमलों को बंद करने के बारे में उन्होंने कुछ भी नहीं कहा.
ओबामा ने कहा, “दोनों देश इस बात पर सहमत हैं कि हमें चरमपंथ रोकने के लिए ऐसे नए तरीके ढ़ूंढने होंगे जिससे पाकिस्तान की संप्रुभता को ठेस नहीं पहुंचे.”
बैठक के बाद ओबामा ने कहा कि दोनों देश इस बात पर राज़ी हैं कि चरमपंथ के खिलाफ लड़ाई में वो एक-दूसरे का सहयोग करेंगे.
उन्होंने कहा कि चरमपंथ की वजह से जितने लोग पाकिस्तान में मारे गए उतने शायद और कहीं नहीं.
ओबामा ने कहा कि नवाज़ शरीफ़ के सामने एक बहुत मुश्किल चुनौती है और वो पूरी कोशिश कर रहे हैं मुल्क के अंदर और पाकिस्तान की ज़मीन से मुल्क के बाहर जाकर होने वाली चरमपंथी गतिविधियों को रोकने की.
नवाज़ शरीफ़ ने इस मुलाक़ात से पहले ही कह दिया था कि इस बैठक को एक नई शुरूआत की तरह देखा जाना चाहिए और दोनों नेताओं की बातों में भी इसकी झलक दिखाई दी. लेकिन इस बात के आसार ज़रूर नज़र आए हैं कि दोनों ही मुमालिक एक दूसरे को फिर से मौका देने को तैयार हैं.
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