इस मामले में अदालत ने अंतिम सुनवाई के दौरान परवेज़ मुशर्रफ़ के खिलाफ गैर ज़मानती वांरट जारी किए और उन पर तुरंत अमल करने को कहा। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और सेनाध्यक्ष पर राजद्रोह का मामला चल रहा है। अदालत के उन्हें बार-बार तलब करने के बावजूद उनके पेश न होने के बाद ये आदेश सुनाया गया। अदालत ने ये भी आदेश सुनाया कि 30 दिनों के भीतर अधिकारी उन्हें अदालत में पेश करें। 72 साल के मुशर्रफ़ स्वास्थ्य कारणों से कुछ हफ़्ते पहले पाकिस्तान से दुबई चले गए थे।
अदालत ने सरकार से कहा कि समाचार पत्रों में मुशर्रफ को भगोड़ा घोषित करने के विज्ञापन प्रकाशित कराए जाएँ और इस तरह के पोस्टर अदालत और सैन्य शासक के घर के बाहर चिपका दिए जाएं। अदालत ने 12 जुलाई की अगली सुनवाई में अभियोजकों से अभियुक्त की सभी संपत्ति का ब्योरा प्रस्तुत करने को भी कहा है। इसके अलावा संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) को उन्हें 30 दिन के अंदर अदालत में पेश करने को कहा है।
मुशर्रफ़ 1999 में नवाज़ शरीफ़ को सत्ता से बेदख़ल कर सत्ता में आए थे। गौरतलब है कि 2007 में मुशर्रफ़ ने संविधान को दरकिनार कर दिया था और 2013 में उनके ख़िलाफ़ इस बारे में मुकदमा चलाया गया था। वर्ष 2008 में उनके ख़िलाफ़ बड़े प्रदर्शन हुए थे और वो ख़ुद ही देश के बाहर चले गए थे। 2013 में वो चुनाव लड़ने के लिए लौटे थे पर उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा था।
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