शूटिंग के दौरान हुई मौत
इस फिल्म पर विवाद शूटिंग के दौरान से ही जारी है। बता दें कि दिसंबर, 2016 में 'पद्मावत' के सेट से गिरने के चलते एक कार्यकर्ता की मौत हो गई थी। इस हादसे के बाद कुछ दिनों के लिए शूटिंग बंद कर दी गई।
भंसाली पर सेना का हमला
इसके बाद जनवरी, 2017 में फिल्म निर्देशक संजय लीला भंसाली पर शूटिंग के दौरान करणी सेना के सदस्यों हमला बोल दिया था। इसके बाद सदस्यों ने जयपुर के जयगढ़ किले(पद्मावत की शूटिंग की जगह) पर भारी विरोध प्रदर्शन भी किया था। बताया जाता है कि प्रदर्शनकारियों ने सेट और कैमरा को पूरी तरह से तहस महस कर दिया था।
कोल्हापुर में शिफ्ट हुआ सेट
राजस्थान में भारी विरोध प्रदर्शन के बाद संजय लीला भंसाली ने मार्च, 2017 में 'पद्मवत' के सेट को कोल्हापुर में शिफ्ट कर दिया। लेकिन प्रदर्शनकारियों ने महाराष्ट्र में भी फिल्म के सेट पर पेट्रोल बम और तलवारों से हमला कर दिया। इस हमला के बाद भंसाली ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया और राजपूत फ्रिंज समूहों से बताया कि फिल्म में रानी पद्मावती और अलाउद्दीन खिलजी के बीच कोई रोमांटिक सीन नहीं है।
पूरा फिल्म इंडस्ट्री समर्थन में
इसके बाद अप्रैल से लेकर अगस्त, 2017 तक पूरा फिल्म इंडस्ट्री अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हवाला देते हुए संजय लीला भंसाली के समर्थन में आ गया। सोशल मीडिया पर प्रदर्शनकारियों के खिलाफ जमकर डिबेट शुरू हो गया। लेकिन इसका कुछ खास असर देखने को नहीं मिला।
फर्स्ट लुक पर भी बवाल
इसके बाद सितम्बर, 2017 में इस फिल्म का फर्स्ट लुक रिलीज किया गया था, जिसमें दीपिका पारंपरिक राजस्थानी आभूषण और लाल साड़ी में नजर आ रही थीं। इसपर भी प्रदर्शनकारियों ने एक बार फिर जमकर पूरे देश में बवाल किया।
रंगोली को खराब किया
अक्टूबर,2017 में सूरत का रहने वाला करण नाम के एक कलाकार ने फिल्म के सेट पर रानी पदमावती के लिए एक बहुत अच्छी रंगोली बनाई थी। लेकिन कुछ प्रदर्शनकारियों ने सेट पर जाकर रंगोली को नष्ट कर दिया। बता दें कि इस रंगोली को बनाने में कुल 48 घंटे का समय लगा था। बाद में दीपिका पादुकोण ने सोशल मीडिया के जरिये इस हरकत की खूब निंदा की।
प्रदर्शनकारियों ने जमकर बवाल किया
नवंबर, 2017 में करनी सेना ने अभिनेत्री दीपिका पादुकोण और पद्मावत के निर्माताओं पर ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ करने का आरोप लगाते हुए राजस्थान में भारी विरोध प्रदर्शन किया। इसके बाद राजपूत फ्रिंज समूह ने रानी पद्मावती की छवि को खराब करने के लिए फिल्म पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने की भी मांग की। बाद में मामला कोर्ट तक पहुंचा, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म पर प्रतिबंध लगाने के याचिका को खारिज कर दी और पूरे मामले को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन (सीबीएफसी) के हाथों सौंप दिया। इसके बाद भारी विरोध प्रदर्शन के चलते कई राज्यों ने इस फिल्म पर बैन लगा दिया।
नाम बदलने की सलाह
दिसंबर, 2017 में सेंसर बोर्ड ने संजय लीला भंसाली की फिल्म को प्रमाणित करने के लिए मेवाड़ शाही परिवार और जयपुर के दो अनुभवी इतिहासकारों को यह फिल्म देखने के लिए आमंत्रित किया। इसके बाद इतिहासकार प्रोफेसर बीएल गुप्ता और प्रोफेसर आरएस खांगरोट ने पांच संशोधनों पर अपना विचार जाहिर करते हुए निर्माताओं को फिल्म का शीर्षक बदलने का सुझाव दिया।
रिलीजिंग डेट की घोषणा
इसके बाद जनवरी, 2018 में फिल्म निर्माताओं ने फिल्म के नाम को बदलकर रिलीजिंग की नई तारीख घोषित कर दी। इसके बाद भी कुछ राज्य सरकारों ने चुनावी फायदे नुकसान को देखते हुए फिल्म पर बैन लगा दिया। जिसके बाद मामला एक बार फिर कोर्ट तक पहुंच गया।
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