नई दिल्ली (आईएएनएस)। लोकसभा चुनाव में वीवीपैट पर्चियों के ईवीएम से मिलान की संख्या बढ़ाने की मांग पर 21 विपक्षी पार्टियां एकजुट हैं। हाल ही में यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। मंगलवार को सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने वेरिफिकेशन ऑफ वोटर-वेरिफाइड पेपर ऑडिट (वीवीपैट) पर्चियों के इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से मिलान की संख्या बढ़ाने की मांग खारिज कर दिया है। पीठ ने कहा कि वह संख्या का बढ़ाने का आदेश नहीं देगी।
याचिका का मकसद लोकतंत्र में ट्रांसपैरेंसी लाना
ऐसे में सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मांग को खारिज कर दिए जाने के बाद विपक्षी नेता मायूस हैं। उनका कहना है कि वह मुद्दे को निर्वाचन आयोग और जनता के बीच ले जाएंगे। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के अध्यक्ष एन चंद्रबाबू नायडू का कहना है कि उनकी याचिका का मकसद लोकतंत्र में ट्रांसपैरेंसी लाना था। हम जो कह रहे हैं, वह उचित मांग है। इसके लिए हम देश की तरफ से लड़ रहे हैं। इसके साथ ही विपक्षी पार्टियां निर्वाचन आयोग से फिर से संपर्क करेंगी।
ईवीएम का मुद्दा अब लोगों के बीच ले जाया जाएगा
वहीं इस संबंध में जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री व नेशनल कान्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला का कहना है कि हर राजनीतिक दल के लिए चुनाव निष्पक्ष होना चाहिए। ऐसे में अब ईवीएम का मुद्दा अब लोगों के बीच ले जाया जाएगा। 21 विभन्न राष्ट्रीय व क्षेत्रीय दलों ने चुनाव में नतीजे से पहले 50 प्रतिशत ईवीएम और वीवीपैट का मिलान करने की मांग की। विपक्षी दलों में चन्द्रबाबू नायडू के अलावा शरद पवार, केसी वेणुगोपाल, डेरेक ऑब्रान, शरद यादव जैसे तमाम दिग्गज नेता शामिल है।
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सुप्रीम कोर्ट का आदेश ईवीएम के साथ मतपर्चियों की भी हो गिनती
अाैचक 5 मतदान केन्द्रों पर पर्चियों का मिलान होगा
बात दें कि 21 विभन्न राष्ट्रीय व क्षेत्रीय दलों की इस मांग पर की याचिका पर चुनाव आयोग का तर्क था कि बूथ वीवीपैट काउंटिंग अगर 50 फीसदी तक बढ़ाई गई तो इसमें औसतन 5.2 दिन लगेंगे। इस सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को आदेश दिया था कि वह प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में अाैचक 5 मतदान केन्द्रों पर पर्चियों का मिलान करे। बता दें कि इससे पहले हर विधानसभा के एक ही पोलिंग बूथ पर पर्चियों का मिलान होता था।