कानपुर। 8 मई 1972 को, चार फिलिस्तीनी आतंकवादियों ने बेल्जियम सबेना एयरलाइंस की फ्लाइट 571 को हाइजैक कर लिया था, यह फ्लाइट वियना से तेल अवीव जा रही थी। द टाइम्स ऑफ इजराइल की रिपोर्ट के मुताबिक, विमान को हाइजैक करने के बाद लॉड एयरपोर्ट पर उतारा गया था। इस विमान में यात्री और क्रू मेंबर को मिलाकर कुल 92 लोग सवार थे। आतंकियों और इजराइल सरकार के बीच 30 घंटे तक बातचीत चली लेकिन इसी बीच 9 मई, 1972 को इजराइल सेना की एक सीरत मटकल यूनिट ने 'ऑपरेशन आइसोटोप' को अंजाम देते हुए यात्रियों को बचाने के लिए विमान में आतंकियों पर हमला कर दिया, जिसमें दो पुरुष आतंकी मारे गए और दो महिला आतंकियों को गिरफ्तार कर लिया गया। इस ऑपरेशन में तीन जांबाज कमांडो ऐसे भी थे, जो आगे चलकर इजराइल के प्रधानमंत्री बने।
विमान में ऐसे घुसे सैनिक
गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, ऑपरेशन आइसोटोप को अंजाम देने के लिए सैनिक पांच टीमों में विभाजित हो गए थे और हवाई जहाज को ठीक करने और फ्यूल भरने के बहाने वह सभी मैकेनिक के रूप में विमान में घुसे। इसके बाद मेन डोर, पीछे के दरवाजे, आपातकालीन डोर और विमान के दो विंग्स से सभी ने गोलीबारी करनी शुरू कर दी। बचाव के प्रयास में, दो यात्री भी घायल हो गए, जिनमें से एक की हालत बेहद गंभीर थी।
सिर्फ नेतन्याहू हो गए थे घायल
इस ऑपरेशन का नेतृत्व पूर्व प्रधानमंत्री एहुद बराक ने किया था, जिन्होंने उस समय सीरत मटकल की कमान संभाली थी। इस हमले में आतंकियों के साथ गोलीबारी में यूनिट में एक टीम के लीडर और कमांडो बेंजामिन नेतन्याहू (इजराइल के वर्तमान प्रधानमंत्री) घायल हो गए। खास बात यह है कि नेतन्याहू ही सिर्फ एक ऐसे कमांडो थे, जो इस ऑपरेशन में घायल हुए थे। बता दें कि प्लेन हाइजैकर यात्रियों को छोड़ने के बदले में इजराइली जेल में साज काट रहे 315 फिलिस्तीनी आतंकवादियों की रिहाई की मांग कर रहे थे।
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