पिछले एक दशक में डेटिंग वेबसाइटों की संख्या तेजी से बढ़ी है, इनमें भी यौन रूप से संक्रमित लोगों के लिए ऐसी वेबसाइटों की तादाद खास तौर से बढ़ी है.
इनमें से एच-वाईपीई या एच-डेट जैसी कई वेबसाइटें खास कर उन लोगों के लिए हैं जो आम तौर पर लाइलाज हर्पेस और एचपीवी जैसे यौन संक्रमण से पीड़ित हैं. इन संक्रमणों से जननांगों पर गांठें या मस्से होने लगते हैं.
एच-वाईपीई वेबसाइट का कहना है, “अगर आपको पता चले कि आप हर्पीस या एचपीवी से पीड़ित हैं तो आपको लगेगा कि जैसे जिंदगी खत्म ही हो गई है, लेकिन हम ये साबित करेंगे कि ऐसा नहीं है. दरअसल ये तो एक नई शुरुआत है.”
इस तरह की कई और वेबसाइटें भी हैं. इनमें पॉजिटिव सिंगल्स के ब्रिटेन में तीस हजार सदस्य हैं और दुनिया भर में पिछले साल इसके एक लाख नए सदस्य बने हैं.
इसके अलावा डेटपॉजिटिव वेबसाइट पर छह हजार लोगों के प्रोफाइल हैं. यहां आप ऐसे लोगों को तलाश सकते हैं जो किसी भी तरह के यौन संक्रमण से पीड़ित हों.
बढ़ते मामले
इस तरह की वेबसाइटों की संख्या में इजाफा यौन संक्रमण के पीड़ितों की बढ़ती तादाद को दर्शाता है. हेल्थ प्रोटेक्शन एजेंसी के ताजा आंकड़ों के अनुसार ब्रिटेन में 2010-2011 में इस तरह के मामले में 2 प्रतिशत की बढ़त देखी गई. ब्रिटेन में हर साल हर्पीस या एचपीवी से पीड़ित एक लाख नए मामले सामने आते हैं.
वहीं अमरीका में हर साल ऐसे दो करोड़ नए मामले देखने को मिलते हैं जबकि ऐसे लोगों की कुल संख्या 11 करोड़ मानी जाती है. सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के आंकड़ों से ये बात सामने आती है.
हालांकि क्लामेडिया जैसे संक्रमणों का इलाज किया जा सकता है जबकि हर्पीस, एचपीवी और एचआईवी लाइलाज हैं.
इसका मतलब है कि डेटिंग की दुनिया में दाखिल होने वाले बहुत से लोगों का यौन संक्रमण से पीड़ित होना एक सच्चाई है. ऐसे में उन्हें लेकर गलत सोच इस काम को उनके लिए मुश्किल बना देती है.
हर्पीस से पीड़ित मैनचेस्टर की 36 वर्षीय केट का कहना है कि यौन संक्रमण से पीड़ित व्यक्ति के बारे में लोग यही समझते हैं कि उसे यूं ही लोगों के साथ सो जाने की आदत होगी.
ये तथ्य है कि बहुत से लोगों के यौन संक्रमण लंबे समय से अपने पार्टनर रहे लोगों से मिलता है जबकि कुछ लोगों को ये संक्रमण अपने पार्टनर की बेवफ़ाई की देन है.
फेसबुक की तरह
पीड़ित लोगों के लिए इसके बारे में अपने नए पार्टनर को बताना हमेशा एक मुश्किल काम होता है. इससे उन्हें अपना रिश्ता टूट जाने का डर सताता रहता है.
केट बताती है कि जब उन्हें हर्पीस होने की बात सामने आई तो कैसे उन्हें अपने एक भरोसेमंद दिखने वाले रिश्तों को गंवाना पड़ा था. वो बताती हैं, “बातों बातों में ही इसकी बात निकल गई जिससे मैं हक्की बक्की थी. फिर हमारा रिश्ता टूट गया, वो कई जोखिम नहीं उठाना चाहता था.”
दूसरी तरफ ऐसे भी लोग है जिनको ठुकराए जाने के बाद डेटिंग से पूरी तरह मोहभंग हो जाता है.
पिछले 20 वर्षों से भी ज्यादा समय से एचपीवी और हर्पीस दोनों से पीड़ित लंदन में रहने वाले 50 वर्षीय मार्क बताते हैं, “पहले लोगों से मेरी बात हुई और उन्हें कुछ नहीं जानना था भले ही कोई कुछ भी कहे. लेकिन फिर ये बातें आपके आत्मविश्वास को तोड़ती हैं. इससे आपको अहसास होता है कि आप औरों से अलग हैं.”
ऐसे में यौन संक्रमित लोगों के लिए डेटिंग वेबसाइटों की कामयाबी समझना आसान है. ऐसी ज्यादातर वेबसाइटों पर यूजर को आजादी है कि अपने बारे में वो कितना ज्यादा ज्यादा या कितना कम से कम लिखना चाहते हैं.
चिंता
हालांकि कुछ लोग इस बात को लेकर चिंतित हैं कि यौन संक्रमित लोगों की डेटिंग वेबसाइटों से क्या संदेश जा रहा है. एचवीए की निदेशक मारियन निकोलसन का मानना है कि कुछ वेबसाइट हर्पीस को लेकर नकारात्मक संदेश देतीं हैं.
वो कहती हैं कि ये उन लोगों के जीवन की सच्चाई से बिल्कुल दूर है जो हर्पीस जैसी परिस्थितियों में रहे हैं. ज्यादातर लोगों के लिए इससे उनकी जिंदगी पर शायद ही कोई असर पड़ता हो, जबकि अन्य बहुत से लोगों को तो इस बारे में जानकारी नहीं होगी.
यौन विशेषज्ञ डॉक्टर मार्क पकियानाथन का कहा है कि एचपीवी तकनीकी रूप से लाइलाज होने के बावजूद जननांगों पर मस्से या गांठें बनाने लगती हैं.
उनका कहना है, “इस तरह की वेबसाइटों लोगों को ये अहसास दे सकती हैं, ‘मैं अब कुष्ठ रोगी हूं और मुझे डेटिंग के लिए कोई कुष्ठ रोगी ही चाहिए’ लोगों को अपने संभावित पार्टनरों के समूह को सीमित नहीं करना चाहिए.”
यौन स्वास्थ्य के लिए काम कर रहे फ़ैमिली प्लांनिंग एसोसिएशन नाम के संगठन की सूचना निदेशक नकिता हलीली का कहना है. “हम इन वेबसाइटों का समर्थन नहीं करेंगे. सच ये है कि यौन संक्रमण को आगे फैलाए बिना भी सुखी और स्वस्थ सेक्स जीवन बिताया जा सकता है.”
बेशक यौन संक्रमित लोगों को भी ऐसे पार्टनर मिल जाते हैं जिन्हें ऐसा कोई संक्रमण न हो.
मैक्स कहते हैं, “लगभग 90 प्रतिशत मामलों में ये आप पर निर्भर करता है कि आप कैसे बताते हैं. दरअसल ये तो लोगों की जानकारी बढ़ाना है और इसे सामान्य तौर पर पेश किया जाना चाहिए. इसके बजाय अगर आप रोओगे, कहोगे कि इससे जिंदगी बर्बाद हो जाती है, तो फिर वो आपसे वैसा ही बर्ताव करेंगे.”
हालांकि ऐसे मामलों में सामने वाले की ओर से ठुकराए जाने के लिए भी तैयार रहना होगा.
जब तक समाज में यौन संक्रमण को एक कलंक के तौर देखा जाता रहेगा, यौन संक्रमित लोगों के लिए बनी डेटिंग वेबसाइटें लगातार लोकप्रिय होती जाएंगी.
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