यह जयललिता के लिए पनीरसेल्वम की वफादारी और समर्पण का एक और ईनाम है.

63 साल के पनीरसेल्वम के बारे में कुछ बातें सत्ता के गलियारों में लंबे समय से कही सुनी जाती रही हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह पनीरसेल्वम ने भी चाय बेची है औऱ उनके पिता भी पार्टी के वफादार थे.

अम्मा के भरोसेमंद

पनीरसेल्वम: इन्होंने भी चाय बेची है

पनीरसेल्वम के पिता अन्नाद्रमुक के संस्थापक स्वर्गीय एमजी रामचंद्रन के लिए काम करते थे और एमजीआर तभी से उन पर मेहरबान थे.

यहां तक कि पनीरसेल्वम के भाई आज भी पेरियाकुलम में चाय की दुकान चलाते हैं. हालांकि उनका पारिवारिक पेशा खेतीबाड़ी का है.

पनीरसेल्वम के बारे में ये कहा जाता है कि चाय की दुकान से फुरसत निकालकर उन्होंने ग्रैजुएशन की पढ़ाई की और ये बात एमजीआर को भी पता थी.

पनीरसेल्वम पहली बार शशिकला के रिश्तेदार टीटीके दिनाकरन के जरिए जयललिता की नज़र में आए.

सामान्य कार्यकर्ता

पनीरसेल्वम: इन्होंने भी चाय बेची है

शनिवार को बंगलौर की विशेष अदालत ने जयललिता के साथ साथ शशिकला को भी आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति रखने के मामले में दोषी ठहराया है.

एक सामान्य पार्टी कार्यकर्ता के तौर पर पनीरसेल्वम के कामकाज से जयललिता इस कदर कायल हुईं कि वो उन्हें अपनी कैबिनेट में ले आईं.

साल 2001 सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद जयललिता को जब राज्य के मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा था तो उन्होंने अपने राजस्व मंत्री पनीरसेल्वम को मुख्यमंत्री बना दिया.

प्रभाव

पनीरसेल्वम: इन्होंने भी चाय बेची हैपन्नीरसेल्वम बोडीनयाकनूर विधानसभा क्षेत्र से चुनकर आते हैं.

कहा जाता है कि मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए पनीरसेल्वम कभी भी उस कुर्सी पर नहीं बैठे जिस पर जयललिता बैठा करती थीं.

पनीरसेल्वम थेवर समुदाय से आते हैं जिनका दक्षिणी तमिलनाडु में अच्छा प्रभाव माना जाता है.

वे राज्य विधानसभा में थेनी जिले के बोडीनयाकनूर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं.

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