कानपुर। भारतीय सिनेमा के महान निर्देशक वी शांताराम का जन्म 18 नवंबर, 1901 में हुआ था। आज उनकी जन्मतिथि के मौके पर उनसे जुड़े कई इंट्रेस्टिंग फैक्ट्स जानते हैं। मालूम हो कि उन्हें लोग प्यार से अन्ना साहब बुलाते थे। दुनियाभर में बेहतरीन फिल्में दे कर लोगों को अपने निर्देशन से दीवाना बनाने वाले हाॅलीवुड डायरेक्टर स्टीवेन स्पीलबर्ग ने भारतीय सिनेमा के जाने माने निर्देशक वी शांताराम की एक ट्रिक अपनी फिल्म में भी इस्तेमाल की थी। 36 साल पहले वी शांताराम के निर्देशन में बनी फिल्म 'दो आंखे बारह हाथ' जो की ब्लैक एंड व्हाइट में बनी थी। उसने पहले तो 1957 में रिलीज हो देश भर में खूब कमाई की और पसंद की गई। इसके बाद 1958 में इस फिल्म को विदेशों में रिलीज किया गया और वहां भी इसे खूब पसंद किया गया था।
स्टीवेन स्पीलबर्ग ने अपनाई शांताराम की ये ट्रिक
1993 में स्टीवेन स्पील बर्ग की फिल्म 'सिंडलर्स लिस्ट' में उन्होंने शांताराम की मूवी 'दो आंखे बारह हाथ' में इस्तेमाल की गई एक ट्रिक अपनाई और उनकी ये फिल्म दुनिया की नजरों में मास्टर पीस बन गई। सिंडलर्स लिस्ट जब रिलीज हुई उस वक्त तक कलर फिल्मों ने सिनेमा में एंट्री ले ली थी। जब शुरुआती दौर में कलर फिल्मों को लेकर लोगों में खूब क्रेज था, ऐसे में स्टीवेन ने अपनी फिल्म को ब्लैक एंड व्हाइट में ही बनाया। खास बात ये थी की शांताराम और स्टीवेन की दोनों फिल्में ही ब्लैक एंड व्हाइट में बनी। दोनों ही फिल्मों में प्रिजनर्स की जिंदगी से जुडी़ कई चीजें दिखाई गईं। दोनों ही फिल्में वर्ल्ड वाइट खूब पसंद की गईं। शांताराम भी स्टीवेन की तरह अपनी इस फिल्म को कलर बना सकते थे पर उन्होंने ब्लैक एंड व्हाइट को ही चुना। ये सब मिड की एक रिपोर्ट के मुताबिक महेश भट्ट की किताब के पन्ने बयां करते हैं।
कलर फिल्मों के दौर में ब्लैक एंड व्हाइट क्यों चुनी
वी शांताराम ने हिंदी सिनेमा की कई हिट फिल्में बनाई है जैसे 'झनक-झनक पायल बाजे' जिसके लिए उन्हें नेशनल अवार्ड भी मिला है। ये फिल्म टेक्नीकलर फिल्मों की शुरुआत थी। वहीं शांताराम 'दो आंखे बारह हाथ' को कलर फिल्म बना सकते थे पर उन्होंने इसे ब्लैक एंड व्हाइट में बनाया। पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि फिल्म के विषय की खूबसूरती ब्लैक एंड व्हाइट में ही सामने आने पर ज्यादा अच्छी लग रही है। इस फिल्म को बेस्ट फीचर फिल्म इन हिंदी के नेशनल अवार्ड से नवाजा गया था।
पाकिस्तान में इस भारतीय फिल्म का ये गाना बना प्राथना
'दो आंखे बारह हाथ' को बर्लिन फिल्म फेस्टिवल में भी अवाॅर्ड से सम्मानित किया गया था। फिल्म का गाना 'ऐ मालिक तेरे बंदे हम' इतना फेमस हुआ था कि इसे पाकिस्तान के स्कूलों में बतौर प्रार्थना सभा में बजाया जाने लगा। इस बात की जानकारी शांताराम को बाॅर्डर पार से लोग लेटर द्वारा देते थे। वहीं 1985 में शांताराम को फिल्म जगत में अपना भारी योगदान देने के लिए दादा साहब फाल्के अवाॅर्ड से सम्मानित किया गया था। हालांकि 1990 में 89 साल की उम्र में निधन हो गया। ये बात वी शांताराम के पोते ने एक इंटरव्यू में बताया था।
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