क्रिकेटर विराट कोहली और अभिनेत्री अनुष्का शर्मा पर भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों का ग़ुबार जैसे निकला, वैसा क्रिकेट-बॉलीवुड की दुनिया में शायद पहले भी निकलता था, पर इतने ख़ुले तौर पर दिखाई-सुनाई नहीं पड़ता था.
वर्ल्ड कप का एक सेमी-फाइनल भारत 19 साल पहले भी हारा था. क्रिकेट फ़ैन्स की उम्मीदें और फिर गुस्सा तब भी उफ़ान पर था. और कप्तान अज़हरुद्दीन और उनकी गर्लफ्रेंड संगीता बिजलानी उस व़क्त सुर्खियों में.
मार्च 1996 में भारतीय टीम जब श्रीलंका से क़रारी हार की तरफ़ बढ़ रही थी, कुछ क्रिकेट प्रशंसकों ने तब भी अपना बदसूरत चेहरा दिखाया था. मैदान पर बोतलें फेंकी गई, मैच रोक दिया गया.
संगीता बिजलानी और अज़हरुद्दीन का साल 2010 में तलाक़ हो गया.
उस हार के कुछ साल बाद खेल पत्रकार मुरली कृष्णनन के आउटलुक पत्रिका के एक लेख में लिखा, “स्थानीय अख़बारों ने संगीता बिजलानी को ही अज़हरुद्दीन के बुरे दिनों के लिए ज़िम्मेदार ठहराया.”
पत्नी और गर्लफ्रेंड अलग?
1960 के दशक में मंसूर अली ख़ान पटौदी और शर्मिला टेगौर से लेकर अब तक क्रिकेटरों के बॉलीवुड की अभिनेत्रियों के साथ जब भी रिश्ते बने वो अख़बारों के तीसरे पन्ने पर और मैगज़ीन के गॉसिप कॉलम में अपनी जगह बनाते आए हैं.
अक़्सर ऐसे रिश्ते अटकलों की दुनिया में रहते हैं. लेकिन विराट कोहली ने अनुष्का से अपने प्यार को ख़ुद सोशल मीडिया वेबसाइट ट्विटर पर एक ट्वीट में ज़ाहिर किया.
पर ये रिश्ता अभी प्यार के दायरे में ही है, इसे शादी से ‘मान्यता’ नहीं मिली है. आम समझ शादी करनेवाले को ठहराव और समझदारी से जोड़ती है और ‘अफेयर’ करनेवाले को भावुकता और नासमझी से.
शायद इसीलिए कुछ लोगों की नज़र में गर्लफ्रेंड का क्रिकेट मैच देखने के लिए आना, पत्नी के आने से अलग है.
भारतीट क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने ऐसे लोगों को “कम समझ रखनेवाले लोग” बताया. वो बोले कि, “अनुष्का को विराट के बुरे प्रदर्शन के लिए ज़िम्मेदार बताना जायज़ नहीं, वो भी बाक़ी क्रिकेटरों के परिवारों की तरह हौसला-अफ़ज़ाई के लिए आई थीं.”
इंटरनेट का लोकतंत्र
पर गॉसिप और चुटकुलों का तानों, भद्दे मज़ाक और बेवजह गुस्से में तब्दील हो जाना असहज करता है. इंटरनेट के इस ख़ुले दौर में अपनी बात कहने की आज़ादी का मतलब कुछ और ही हो चला है.
गुरुवार के मैच के बाद ट्विटर, वॉट्सऐप और फेसबुक पर अनुष्का पर कुछ लोगों की टिप्पणियां बद्तमीज़ी और महिलाओं के प्रति छोटी मानसिकता दिखाती हैं.
शायद ये समाज का वो आईना है, जो लोग देखना नहीं चाहते. जो आपसी बातचीत में छिपा था और इंटरनेट के लोकतंत्र में अब बिना लाग-लपेट सीना चौड़ा कर हमारे सामने खड़ा है.
निंदा
बस संतोष इसमें कि ऐसे ख़्याल सामने रखनेवालों की निंदा भी ख़ूब हुई, इंटरनेट के लोकतंत्र में भद्दगी से ऊंची शायद समझदारी की आवाज़ें रहीं. अभिनेता अभिषेक बच्चन ने ट्वीट किया, “ये उस तरह के लोग हैं जिन्हें कभी गर्लफ्रेंड या पत्नी नहीं मिलेगी.”
अख़बार और टीवी चैनल भी इसमें जुड़े. पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने कहा, “क्रिकेट के मामले में हमारे देशवासियों में अलग ही जुनून है, पर जब ये जुनून, भीड़ के पागलपन में बदल जाए तो ये चिंता की बात है”.
"ज़रूरत है हार को आराम से स्वीकार करने की और खेल में रही कमियों पर सुधार करने की."
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