ऐसा कहते हैं वैज्ञानिक
वैज्ञानिक कहते हैं कि ये सघन ठोस नाइट्रोजन का 'अस्थायी' रूप हो सकता है। इसके अलावा इसकी सतह पर हजारों गड्ढे भी मिले हैं, जिसको लेकर वैज्ञानिकों का मानना है कि ये इसको उच्च बनाने की क्रिया है। इस तस्वीर को 24 दिसंबर को लॉन्ग रेंज रिकोनाइजेशन इमेजर (LORRI) से ट्रांसमिटेड किया गया है। यहां मीलों तक आसपास के ज्यादातर क्षेत्र की अपेक्षा स्पूटनिक प्लैनम कम ऊंचाई पर है।
ऐसे बंटी है सतह
बताया गया है कि इसकी सतह 10 से 25 मील सेल्स और पॉलीगॉन्स में बंटी हुई है और जब इसको कम सूरज के एंगल से देखा जाता है तो इसके सेल्स कुछ दूरी पर और एकदम बीच में दिखाई देते हैं। ऐसी भी संभावना जताई जा रही है कि यहां से कई मील दूर एक गहरा जलाशय भी है। ये जलाशय ठोस नाइट्रोजन प्लूटो की मामूली आंतरिक गर्मी से गहराई में बना है।
विशेषज्ञ ने बताया
सेंट लुइस में वाशिंगटन विश्वविद्यालय से नए क्षितिज भूविज्ञान, भूभौतिकी और इमेजिंग टीम के उप नेता विलियम मैक-किनोन ने कहा कि प्लूटो का ये हिस्सा किसी लावा लैम्प की तरह काम करता है। कम्प्यूटर मॉडल पर गौर करते हुए न्यू हॉरिजोन टीम का कहना है कि धीरे-धीरे ये ठोस नाइट्रोजन को पलट कर विकसित कर सकते हैं।
ये है नई तस्वीरों में
इसके अलावा नासा ने प्लूटो की विकिंग टेरा एरिया के नाम से एक और नई तस्वीर भेजी है। LORRI से ली गई तस्वीरों को मिलाकर ये पूरा डाटा 14 जुलाई 2015 को लिया गया था। ये 31,000 मील की दूरी से नन्ही सी नजर आने वाली दूरी और 1,600 फीट गहराई से लिया गया था।
वैज्ञानिकों ने पाए रोचक तथ्य
इनमें पाए गए फीचर्स में वैज्ञानिकों ने कुछ बेहद रोचक तथ्य पाए। ये चमकदार मिथेन बर्फ के टुकड़े जैसा था, जो यहां वातावरण में मिथेन और नाइट्रोजन के मिलने से बना हुआ सा नजर आ रहा है। यहां, जहां चिकनी सतह पर लाल रंग का कुछ मोटा सा मटीरियल दिखाई देता है। ये मटीरियल कुछ खास चैनल्स और क्रेटर्स पर तैरता है। इन तस्वीरें में प्लूटो के हार्ट पर आश्चर्यजनक गड्ढे भी नजर आ रहे हैं।
तब ली गई तस्वीरें
ये सभी तस्वीरें स्पेसक्राफ्ट के गुजरते वक्त प्लूटो के सतह पर नए क्षितिज से ली गई सीक्वेंस का हिस्सा हैं। ये तस्वीरें 50-50 मील की दूरी पर से ली गई हैं। आगे की कुछ तस्वीरों को देखकर साफ होता है कि प्लूटो की सतह पर जगह-जगह अजीब से क्वायर्स भी नजर आ रहे हैं। इनके आसपास भी कुछ अजीब सी आकृतियां नजर आ रही हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि ये सभी नाइट्रोजन और मिथेन के मिश्रण से बनी हुई हैं।
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