उनका घर घास-फूस और पत्थरों वाले इलाके में है. वे पढ़े-लिखे नहीं हैं. और उनका एक भी दांत नहीं बचा है.
इनका नाम कारमेलो फ्लोरस लारा हैं जो बोलीविया के एक बेहद छोटे और अलग-थलग पड़ चुके गांव में रहते हैं. उनको अपनी उम्र याद तो नहीं मगर यह ज़रूर याद है कि एक सदी से वे इस इलाके में रह रहे हैं.
उनके इस दावे से बोलिविया के अधिकारी भी सहमत हैं.
बोलीविया सिविल रजिस्ट्रार के निदेशक यूजेनियो कोनडोरी बताते हैं, “जैसा कि आप इन दस्तावेजों में भी देख सकते हैं, इसमें कारमेलो के जन्म की तारीख 16 जुलाई, 1890 लिखी है. यह जन्म प्रमाण पत्र साल 1940 से पहले जन्मे लोगों के लिए वैध प्रमाण कहा जा सकता है. क्योंकि इससे पहले सरकारी रजिस्ट्री की सुविधा मौजूद नहीं थी.”
उधर गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में सबसे बुजुर्ग व्यक्ति का रिकॉर्ड 122 साल और 5 महीने के एक व्यक्ति के नाम है.
अगर बोलीविया के अधिकारियों का दावा सही है तो कारमेलो उससे भी उम्रदराज़ व्यक्ति ठहरते हैं, लेकिन उन्हें अभी गिनीज़ बुक की तरफ से मान्यता नहीं मिली है.
लेकिन लारा की इतनी लंबी उम्र का राज क्या है?
बताया जा रहा है कि उन्होंने पथरीले और ऊबड़ खाबड़ इलाके में कठोर और बेढ़ब ज़िंदगी जी है. पर्वतों से निकल कर आ रहा साफ़ और कुदरती पानी पिया है. और जीवन भर भेड़ बकरियां चराईं हैं.
कारमेलो फ्लोरेस की कहना है कि पहाड़ी इलाकों में खूब चलना उनके लिए वरदान साबित हुआ. इसके अलावा भोजन भी आम नहीं था.
लारा बताते हैं, “मैंने लोमड़ियां खाईं, छिपकलियां खाईं. सूअर का मांस मुझे पसंद है.”
टिटीकाका झील के पास बसे इस गांव में अब बहुत कम लोग बचे हैं.
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