PRAYAGRAJ: तीन महीने के भीतर शहर में आग लगने की यह तीसरी बड़ी घटना सामने आयी है. गनीमत सिर्फ इतनी है कि इन घटनाओं में कोई हताहत नहीं हुआ. तीनो मौकों पर फायर ब्रिगेड को मशक्कत करनी पड़ गयी. गाडि़यां पहुंच गयीं तो पानी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ी. रिहायशी इलाकों में चल रही फैक्ट्रियां बड़ा खतरा बनकर सामने आयी हैं. आग एक स्थान पर लगती है और पूरा मोहल्ला खतरे में आ जाता है.
पहली घटना
फरवरी माह में नौ तारीख को चौक घंटा घर के पास संजय मार्केट में शार्टसर्किट से भीषण आग लगी थी. इसे भी कई घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद फायर ब्रिगेड के जवान बुझा पाए थे. इस घटना से मार्केट में सनसनी फैल गयी थी. गोदाम में आग कैसे लगी यह आज भी पता नहीं चला है क्योंकि जिस वक्त आग लगी थी उस इलाके में बिजली ही नहीं थी. करीब 20 से 22 लाख रुपए के नुकसान का अनुमान लगाया गया था.
दूसरी घटना
पत्रिका चौराहा के पास गली में घनी बस्ती के बीच बने मकान के तीसरे फ्लोर पर घर में चल रहे वाहन का सीट कवर बनाने के गोदाम व कारखाने में आग लग गई. यह घटना शार्टसर्किट से हुई अप्रैल माह में ही पांच तारीख को हुई थी. आग की लपटों को देख गली में बने मकानों के लोग घर छोड़ कर सड़क पर आग गए थे. गली इतनी सकरी थी कि फायर ब्रिगेड की गाड़ी तक नहीं जा पा रही थी.
तीसरी घटना
आग की तीसरी बड़ी घटना 12 तारीख शुक्रवार की रात धूमनगंज एरिया के अलका बिहार कॉलोनी में आवासीय मकान के ग्राउंड फ्लोर में स्थित चाउमीन फैक्ट्री में हुई. यहां सड़कें तो चौड़ी थीं, पर पानी की सुविधा बेहद कंडम थी. पानी की व्यवस्था न होने से जवानों को आग बुझाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी.
पानी होता तो पहले बुझ जाती आग
चाउमीन फैक्ट्री में लगी को बुझाने में पानी की किल्लत काफी अखरी
आग बुझा रहे जवानों के टैंकर का पानी बार-बार खत्म हो जा रहा था
एयर फोर्स व फायर बिग्रेड के जवानों का काफी समय पानी की तलाश में बीता
टैंकर का पानी खत्म होते ही वे पानी की तलाश में निकल पड़ते
तब तक मौजूद अन्य टैंकर से कुछ जवान आग बुझाने में जुटे रहे
जब तक खाली हुए टैंकर में पानी लेकर जवान पहुंचते अन्य टैंकरों का पानी खत्म हो जाता