सिर्फ महिलाओं के नाम पर
तूफानों के नाम रखने की पहल अटलांटिक क्षेत्र में 1953 में एक संधि से हुई थी। इन्हें ह्यूरिकेन का नाम देने की परंपरा मियामी स्थित नैशनल हरिकेन सेंटर की पहल पर शुरू हुई थी। वहीं इस दौरान अमेरिका केवल महिलाओं के नाम पर तो ऑस्ट्रेलिया केवल भ्रष्ट नेताओं के नाम पर तूफानों का नाम रखता था। इस दौरान इस फोनेटिक अल्फाबेट से Q, U, X, Y Z को इसमें नहीं शामिल किया जाता था। हालांकि अमेरिका में महिलाओं ने तूफानों में सिर्फ अपने नाम का इस्तेमाल किए जाने का काफी विरोध किया।
नाम के लिए विचार-विमर्श
ऐसे में 1979 के बाद से इनका नाम महिलाओं और पुरुषों के नाम पर रखा जाने लगा। शुरू में इनके नाम शुरुआती अक्षरों A और B पर नाम रखे गए। हालांकि यह सीरीज ज्यादा दिन नहीं चली। धीरे-धीरे तूफानों के नाम अजीबो गरीब रखे जाने लगे। वहीं हिंद महासागर क्षेत्र में आने वाले तूफानों के लिए विचार-विमर्श 2000 में शुरू हुआ। भारत की पहल पर 8 तटीय देशों ने इसको लेकर समझौता किया। इनमें भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, म्यांमार, मालदीव, श्रीलंका, ओमान और थाईलैंड शामिल हैं।
नाम को दोहराया नहीं जाता
इसमें अंग्रेजी वर्णमाला के अनुसार सदस्य देशों के नाम के पहले अक्षर के अनुसार उनका क्रम तय किया गया है। ऐसे में जब चक्रवात इन आठ देशों के किसी हिस्से में पहुंचता है। इनके मुताबिक इनका नाम रख दिया जाता है। इससे तूफान की न केवल आसानी से पहचान हो जाती है बल्कि बचाव अभियानों में भी इससे मदद मिलती है। किसी भी नाम को दोहराया नहीं जाता है। अब तक इरमा, फेलिप, महासेन, वरदा, हुदहुद, फालीन जैसे कई तूफान दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में अपना कहर ढा चुके हैं।
तूफानों के नाम का मतलब
इरमा तूफान हैरी पॉटर में 'इरमा पींस' नाम के एक महिला कैरेक्टर पर है। फेलिप तूफान का नाम संत फेलिप के नाम पर रखा गया था। 'हुदहुद' तूफान ने भारी तबाही मचाई थी। ओमान ने इस चक्रवात का नाम एक पक्षी के नाम पर 'हुदहुद' दिया था। एक तूफान का नाम ‘महासेन’ भी रखा गया है। महासेन नाम श्रीलंका के इतिहास में समृद्धि और शांति लाने वाले राजा के तौर पर है, जिनके नाम पर एक विनाशकारी तूफान का नाम रख दिया गया था। हालांकि विरोध हो जाने पर यह नाम बदला गया।
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