features@inext.co.in

KANPUR: आजकल बिगड़ते खानपान और चंद लापरवाहियों के चलते फीमेल्स में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है। एक ओर जहां इस खतरे ने अपने कदम आगे बढ़ाए हैं, तो वहीं कर्नाटक की गीता मंजूनाथ ने अपने हेल्थ केयर स्टार्टअप निरामई से इसको हराने का जिम्मा अपने कंधों पर उठा लिया है।

ऐसे मिली कामयाबी

गीता मंजुनाथ ने भारत के पहले सुपर कंप्यूटर प्रोजेक्ट में काम किया था और अब वह 'निरामई ' के अंडर में आई टेक्नीक की हेल्प से ब्रेस्ट कैंसर का शुरुआती स्टेज पर पता लगा लेती हैं। फस्र्ट स्टेज में ही ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाने के लिए रेडिएशन फ्री और पेनलेस टेक्नीक का यूज किया जाता है। ऐसे आया आइडिया मंजूनाथ के पिता इंजीनियर नहीं थे, लेकिन उनका माइंडसेट इंजीनियर का था। मंजूनाथ को भी इंजीनियरिंग पसंद थी और उनके पिता भी चाहते थे कि वह इंजीनियरिंग की पढ़ाई करे।

Startup Idea: Augmenta11y ले रहा डिस्लेक्सिया से मोर्चा, पीड़ित बच्चों के लिए पढ़ाई हुई आसान

Success Story: Adukale ने विदेशों तक पहुंचाया Sankethi recipes का स्वाद

टाॅप मेडिकल काॅलेज मिलने पर भी चुना इंजीनियरिंग को

हालांकि उस पर मेडिकल की पढ़ाई करने का दबाव भी था। 18 साल की उम्र में जब उसने मेडिकल और इंजीनियरिंग की परीक्षा दी, तो उसे दोनों ही में टॉप कॉलेजेस का ऑप्शन मिला। उनके पास दोनों का ही ऑप्शन था, लेकिन उन्होंने इंजीनियरिंग ही चुना। पढ़ाई के बाद 17 सालों तक दुनिया की बड़ी इंजीनियरिंग कंपनियों के साथ उन्होंने जब निरामई बनाया तो वह इंजीनियरिंग और मेडिकल का मिक्सचर था।

Business News inextlive from Business News Desk