इसकी मदद से आप जान सकते हैं कि अगर आपने कोई क्लास बंक की तो उसका आपकी कुल उपस्थिति पर क्या असर होगा. यानी क्लास बंक करने के बावजूद आपकी उपस्थिति तय सीमा से अधिक बनी रहेगी या नहीं. बंक मॉनीटर को अगले कुछ दिनों में जारी कर दिया जाएगा और इसका इस्तेमाल पूरी तरह से मुफ्त होगा.
इस ऐप की शुरुआत के बारे में जैव प्रौद्योगिकी विभाग के तीसरे साल के छात्र जुनैद बाबू बताते हैं, "आईआईटी मद्रास के वार्षिक टेक फेस्टिवल 'शास्त्र' के दौरान हम तीनों ने लगभग 300 भागीदारों के लिए एक एंड्रॉयड कार्यशाला का आयोजन किया. हालांकि ये शुरुआती योजना का हिस्सा नहीं था, लेकिन हमसे कहा गया कि अगर हम वास्तव में एक ऐप बना सकते हैं तो बनाएं. हम इस पर पहले ही काम कर रहे थे और हमने इसे पूरा करने का फैसला किया."
बंक मॉनीटर
इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के तीसरे वर्ष के छात्र अश्विन राज बताते हैं, "इस आयोजन के सह-संयोजक और अकादमिक मामलों के सचिव ने उपस्थिति के नियमों से निपटने के लिए इस ऐप की खास ज़रूरत बताई." आईआईटी में उपस्थिति के नियम काफ़ी सख़्त हैं.
अश्विन बताते हैं, "हालांकि कागज पर इसकी गणना की जा सकती है कि हम कितनी कक्षाएं छोड़ चुके हैं, लेकिन ऐसा करने से बेहतर है कि कक्षाओं को छोड़ ही दिया जाए. ये ऐप इस बात पर नज़र रखने में आपकी मदद करता है."
ऐसे में सवाल है कि "बंक मॉनीटर कैसे काम करता है?" इस ऐप में विषय का ब्यौरा, क्रेडिट्स, आवश्यक उपस्थिति और निर्धारित कार्यक्रम का विवरण चढ़ाया जाता है. हर दिन एक निश्चित समय पर एक अधिसूचना भेजी जाती है. उपयोगकर्ता को बताना होता है कि क्या वो इस दिन कक्षा में जा रहा है, बंक कर रहा है या कक्षा स्थगित कर दी गई है.
इस ऐप में उपयोगकर्ता नई कक्षाओं या विशेष कक्षाओं का ब्यौरा भी शामिल कर सकता है ताकि बंक क्लासेज का सही प्रतिशत निकाला जा सके. इस ऐप के ज़रिए उपयोगकर्ता को आगामी या विशेष कक्षाओं के लिए अलर्ट भी भेजा जाता है.
नामकरण
तीन सदस्यों वाले इस दल के सबसे युवा सदस्य तेजस्विन बताते हैं कि उन्होंने इस एंड्रॉयड प्रोजेक्ट के नाम पर अपने पिता को एक स्मार्ट फोन खरीदने के लिए राज़ी किया.
तेजस्विन इस ऐप के नामकरण के बारे में बताते हैं, "अगर इसे अटेंडेंस मॉनीटर नाम दिया जाता तो ये काफी बोरिंग होता. बंक मॉनीटर अधिक आकर्षक और चुटीला नाम है और हां, इसके ज़रिए गिनती करना आसान है क्योंकि आप अधिक से अधिक पांच या छह क्लास ही बंक कर सकते हैं!"
कैंपस में छात्रों और अध्यापकों के बीच "बंक मॉनीटर" को लेकर चर्चा तेज़ है. चूंकि यहां 85 प्रतिशत से अधिक उपस्थिति अनिवार्य है और ऐसा नहीं होने पर कई छात्रों को परीक्षा में बैठने में दिक्कत होती है. यहां तक कि तीस प्रतिशत से अधिक छात्र उपस्थिति कम होने के कारण सेमेस्टर परीक्षाओं में नहीं बैठ पाते हैं. ऐसे में इस ऐप को सभी से काफी सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है.
उपलब्धियां
आईआईटी मद्रास के छात्र सचिव दीपक जॉनसन इस ऐप का श्रेय आईआईटी में सेंटर फॉर इनोवेशन को देते हैं.
उनके मुताबिक "हम लोग कई दूसरे गंभीर काम कर रहे हैं. इसमें रक्तदान के लिए तैयार किया गया मोबाइल इंटरफेस "ब्लडलाइनलैब्स" शामिल है. इससे कई लोगों की जान बचाने में मदद मिली है."
बंक मॉनीटर का विकास करने वाले जुनैद ने इस मोबाइल इंटरफेस के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
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