नमस्कार। गर्मी का मौसम हमारी एनर्जी को घटा देता है। एनर्जी घट जाने के कारण हमारा प्रयास कमजोर बन सकता है और यही हमारी असफलता की वजह हो सकता है। पिछले महीने से मैंने असफलता या फेलियर के विषय पर चर्चा शुरू की है। जिन्होंने पिछले महीने का लेख नहीं पढ़ा है उन्हें मैं दो सीख के विषय में अवगत कराना चाहता हूं। पहली सीख थी कि असफलता की परिभाषा आपके लिए क्या है? दूसरी सलाह यह थी कि हमें अपने काबिलियत के अंदर रहते हुए अपने कम्फर्ट जोन के बहार निकलने का प्रयास करना पड़ेगा।
अपने से बेहतर को देख घटे काॅन्फिडेस तो क्या करना चाहिए
मेरे पिछले महीने के लेख को पढ़कर एक पाठक ने फेसबुक के माध्यम से एक दिलचस्प प्रश्न किया है -जब हम अपने से बेहतर और काबिल किसी भी इंसान से मिलते हैं ,तब हमें मोटिवेशन तो मिलता है परन्तु उनकी तुलना में अपने आप को छोटा लगता है जिसके कारण अपना कॉन्फिडेंस घट जाता है और हम फेलियर की ओर कदम रखते हैं। धन्यवाद आपको इस प्रश्न के लिए। आपके प्रश्न से तीन बातें उभर कर आती हैं। पहली आप अपने से बेहतर और काबिल इंसान से मिलते हो, तो आपको मोटिवेशन मिलता है। दूसरी बात कि जब आप खुद की उनसे तुलना करते हो, तो आपको लगता है कि आप कुछ भी नहीं हो और तीसरी बात कि आपका कॉन्फिडेंस कम हो जाता है। मूल कारण है खुद की किसी और से तुलना करना। अगर तुलना ही करनी हो, तो कीजिए अपनी मेहनत का /प्रयास का उस कामयाब इंसान के प्रयत्न के साथ।
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ये कहानी करेगी प्रेरित
आप सबने तो थॉमस अलवा एडिसन का नाम सुना होगा। उन्होंने हमारे जिन्दगी में रोशनी दी है ,इलेक्ट्रिक बल्ब के आविष्कार के जरिये। हम लोग क्या इस बल्ब के बिना जिंदगी सोच सकते हैं। जब एडिसन आविष्कार का प्रयास कर रहे थे तब उनके पास केवल एक विश्वास था। क्योंकि दुनिया ने उनके पहले कभी बल्ब नामक वस्तु के बारे में ना सोचा था और ना ही किसी को इसका कोई अनुभव था। इतिहास गवाह है कि एडिसन को इलेक्ट्रिक बल्ब के आविष्कार में हजारों कोशिशें करनी पड़ी थी। पत्रकार ने एडिसन से पूछा था कि आपको हजार बार असफल होने पर क्या महसूस हुआ? एडिसन ने जवाब दिया कि हमने हजार बार असफलता नहीं पाई। अपने आविष्कार के लिए मुझे हजार कदम चलने पड़े! उनके पास एक ही परिभाषा थी, खुद पर विश्वास और अपना जूनून।
दीपक प्रमाणिक
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