वाशिंगटन (पीटीआई)। अमेरिका और भारत के बीच अगले सप्ताह होने वाली महत्वपूर्ण वार्ता से पहले ट्रंप प्रशासन ने साफ कर दिया है कि अमेरिका अपनी एच-1बी वीजा नीति में कोई बदलाव नहीं करने जा रहा। दरअसल, ट्रंप प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि एच-1बी वीजा नीति से अमेरिकी नागरिकों को कोई नुकसान ना हो, इसके लिए फिलहाल इसकी सिर्फ समीक्षा की जा रही है। बता दें कि अगले हफ्ते भारत और अमेरिका के बीच नई दिल्ली में टू प्लस टू वार्ता कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। इसमें भारत की तरफ से वीजा नीति को लेकर मुद्दा उठाया जा सकता है।
छह सितंबर को होगी बातचीत
गौरतलब है कि इंडियन प्रोफेशनल्स के बीच फेमस एच-1बी वीजा अमेरिका में नौकरी के लिए जाने वाले लोगों को जारी किया जाता है। अमेरिकी तकनीकी कंपनियां हर साल भारी संख्या में भारत और चीन जैसे देशों के एच-1बी वीजा धारकों को अपने यहां नौकरी देती हैं। भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने हाल ही में राज्यसभा में कहा था कि वह छह सितंबर को अमेरिका के साथ होने वाली बातचीत में यह मुद्दा उठाएंगी। इस पर ट्रंप प्रशासन के एक अधिकारी ने कहा, 'हम भारत के सवालों के लिए तैयार हैं। यह भारत के लिए एक अहम मुद्दा है लेकिन वीजा नीति या वीजा जारी करने की प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं हो रहा है इसलिए हमें ज्यादा कुछ नहीं कहना होगा।'
चीन दूसरे स्थान पर
बता दें कि अमेरिका हर साल 65 हजार एच-1बी वीजा जारी करता है। अमेरिका से मास्टर्स या उससे ऊंची डिग्री हासिल करने वालों को इस सीमा से बाहर रखा गया है। अमेरिका के नागरिक एवं आव्रजन सेवा विभाग के अनुसार, 2007 से 2017 के बीच सबसे ज्यादा 22 लाख भारतीयों ने एच-1बी वीजा के लिए आवेदन किया था। इसके अलावा तीन लाख एक हजार आवेदनों के साथ चीन दूसरे स्थान पर था।
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