नई दिल्ली (आईएएनएस)। एनडीए से बाहर निकलने के एक दिन बाद बुधवार को नीतीश कुमार फिर से बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के लिए तैयार हैं। बहुमत से कम होने के बावजूद उन्होंने 3 मार्च 2000 को पहली बार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली और सात दिनों तक मुख्यमंत्री बने रहे। चूंकि न तो राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और न ही राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन विधानसभा में आधे रास्ते को पार कर सके, नीतीश ने 10 मार्च 2000 को विधानसभा में विश्वास मत होने से पहले ही इस्तीफा दे दिया।
कभी भाजपा तो कभी राजद के साथ
2005 में नीतीश कुमार ने फिर शपथ ली। उनकी पार्टी के 88 सीटें जीतने के बाद दूसरी बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में और उसकी सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 55 सीटें जीतीं। झारखंड के गठन के कारण 243 सदस्यीय सदन में सरकार 122 के बहुमत से बनी। उन्होंने अपना पांच साल का कार्यकाल सफलतापूर्वक पूरा किया। 2010 में, उन्हें फिर से सीएम के रूप में शपथ दिलाई गई, लेकिन 2013 में उन्होंने भाजपा को छोड़ दिया और चुनाव हारने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया और जीतन राम मांझी को सीएम नियुक्त किया। हालांकि, उन्होंने 2015 में सीएम के रूप में वापसी की और कहा कि इस्तीफा देना एक गलती थी।
आठवीं बार शपथ की तैयारी
2015 में उन्होंने राजद के साथ गठबंधन किया और चुनावों में जीत हासिल की, लेकिन 2017 में उन्होंने राजद का साथ छोड़ दिया और भाजपा के साथ मिलकर 2020 में विधानसभा चुनाव तक जारी रहे। उन्होंने सातवीं बार सीएम के रूप में शपथ ली। और अब बुधवार दोपहर को वह आठवीं बार शपथ लेंगे। नई सरकार की रूपरेखा को लेकर अटकलें शुरू हो गई हैं। सूत्रों के मुताबिक, जद (यू) के नेतृत्व वाली नई सरकार का आकार पिछली सरकार जैसा ही रहने की संभावना है। तेजस्वी यादव को फिर से उपमुख्यमंत्री बनाया जा सकता है, और उन्हें सड़क निर्माण जैसे महत्वपूर्ण विभाग मिल सकते हैं। राजद को गृह विभाग पाने के लिए भी कहा जाता है। इस बीच, संभावना है कि पार्टी के अब्दुल बारी सिद्दीकी को वित्त विभाग मिलेगा और सुनील कुमार सिंह सहकारिता मंत्री हो सकते हैं।
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