फैसला सुनते ही बजी तालियां
जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस आर भानुमति और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच यह अहम फैसला सर्वसम्मति से सुनाया। कोर्ट ने फांसी की सजा बरकरार रखते हुए कहा कि निर्भया कांड सदमे की सुनामी थी। बताया जा रहा है कि तीनों जजों ने जैसे ही पूरा फैसला सुनाया लोगों ने कोर्ट में तालियां बजाईं। निर्भया के पिता ने फैसले पर कहा कि यह मेरे पूरे परिवार की जीत है। मैं भी इस फैसले से खुश हूं। वहीं, निर्भया की मां ने भी फैसले पर कहा कि यह पूरे देश की जीत है। वहीं, बचाव पक्ष के वकील एपी सिंह ने फैसले को लेकर कहा कि उनके मुवक्किलों के साथ न्याय नहीं हुआ है। हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करेंगे।
फैसले को दी थी चुनौती
गौरतलब है कि दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा फांसी की सजा पाए दोषियों की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने 27 मार्च को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित कर लिया था। दोषियों अक्षय ठाकुर, विनय शर्मा, पवन गुप्ता और मुकेश की ओर से हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इनमें एक दोषी राम सिंह की मौत हो चुकी है। वहीं फैसले के बाद निर्भया के पिता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से समाज को इंसाफ मिला। इससे पहले सुनवाई के लिए निर्भया के माता पिता अपने घर से निकले तो उन्होंने मीडिया कर्मियों को हाथ जोड़कर नमस्ते कहा था।
जानें 16 दिसंबर, 2012 की दर्दनाक रात की पूरी कहानी
निर्भया अपने पुरुष मित्र के साथ 16 दिसंबर, 2012 की रात तकरीबन नौ बजे दक्षिणी दिल्ली के मुनीरका इलाके में अपने घर पालम विहार जाने के लिए इंतजार कर रही थी। कुछ देर बात यानी साढ़े नौ बजे के करीब ही एक सफेद बस वहां रुकी। उसमें से नाबालिग (तब) ने उन लोगों को बस में चढ़ने का आग्रह किया। इसके बाद वे बस में चढ़ गए। उस बस में ड्राइवर समेत छह लोग पहले से मौजूद थे। थोड़ी देर बाद उन्होंने निर्भया के साथ गैंगरेप किया और उसके बाद दोनों को बुरी तरह से पीटा और महिपालपुर फ्लाईओवर के पास उनको फेंक कर चले गए। एक पीसीआर वैन ने उनको घायल अवस्था में अस्पताल पहुंचाया। हालांकि, घटना के 11 दिनों के बाद निर्भया की मौत हो गई।
ये हैं निर्भया के गुनहगार :
राम सिंह :
16 दिसंबर, 2012 की रात निर्भया के साथ दरिंदगी में प्रमुख आरोपियों में से एक राम सिंह भी था। राम सिंह ही उस वक्त गाड़ी चला रहा था, जब निर्भया और उसका पुरुष मित्र बस में सवार हुए थे। आरोप है कि निर्भया के साथ गैंगरेप करने और लोहे की रॉड से हमला करने के बाद उसके दोस्त को बुरी तरह पीटा था। हालांकि, 10 मार्च, 2013 को तिहाड़ जेल में राम सिंह ने आत्महत्या कर ली थी।
मुकेश सिंह :
राम सिंह के साथ बस में मुकेश सिंह भी सवार था। वह बस का क्लीनर था। सामूहिक दुष्कर्म के बाद लोहे की रॉड से दोनों को बुरी तरह से पीटा था। इसमें मुकेश सिंह भी शामिल था। इस वक्त तिहाड़ जेल में बंद है।
पवन गुप्ता :
पवन जीवन यापन के लिए फल बेचने का काम करता था। तिहाड़ के जेल नंबर दो में तीन अन्य साथियों के साथ कैद है। ग्रेजुएशन परीक्षाओं की तैयारी कर रहा है
विनय शर्मा :
पेशे से फिटनेस ट्रेनर था। फिलहाल तिहाड़ में कैद है और परीक्षा की तैयारी कर रहा है। इस साल जेल के भीतर आत्महत्या की कोशिश की थी लेकिन बच गया। जब इसके पांच अन्य साथी दुष्कर्म कर रहे थे तो यह गाड़ी चला रहा था। उसके बाद इसने मुकेश को गाड़ी चलाने को दी और दुष्कर्म किया।
अक्षय ठाकुर :
बिहार का रहने वाला अक्षय ठाकुर स्कूल की पढ़ाई छोड़कर भागकर दिल्ली आया था। तिहाड़ की जेल नंबर 2 में कैद है। जब से इसने कहा कि इसकी जान को खतरा है तब से इसकी सुरक्षा बढ़ा दी गई है। इस पर भी रेप और हत्या का आरोप है।
नाबालिग
आरोप है कि नाबालिग ने ही निर्भया और उसके साथी को बस में चढ़ने का आग्रह किया था। घटना के वक्त नाबालिग था। नतीजतन फास्ट ट्रैक कोर्ट में तीन साल की अधिकतम सजा के साथ सुधार केंद्र में भेजा गया। पिछले साल दिसंबर में सजा पूरी करने के बाद रिहा कर दिया गया।
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