लेकिन रसायनों का इस्तेमाल आम लोग नहीं कर सकते और लैक्टोमीटर से सिर्फ़ दूध में पानी की मात्रा का पता चल सकता है, इससे सिंथेटिक दूध को नहीं पकड़ा जा सकता है।
विश्व का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश होने के साथ साथ भारत विश्व में दूध का सबसे ज़्यादा ख़पत वाला देश भी है और नेशनल डेयरी डेवलेपमेंट बोर्ड के अनुसार भारत में दूध की कुल मांग, कुल उत्पादन से 25 प्रतिशत ज़्यादा है।
इस अतिरिक्त मांग को पूरा करने के लिए आए दिन दूध में मिलावट होती रहती है और सिर्फ़ पानी नहीं दूध में डिटर्जेंट, साबुन और तरह तरह के रसायन मिलाए जाने के मामले सामने आते रहे हैं।
दूध की इस मिलावट से सेना को बचाने के लिए लिए भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने एक 1995 में एक तकनीक का आविष्कार किया था।
लेकिन अब इस तकनीक को पेटेंट करवा कर मुंबई की एक कंपनी पर्ल कॉरपोरेशन ने विकसित किया है और 'टेस्ट ओ मिल्क' नामक दूध जांचने की किट बनाई है।
दूध जांचने की किट बाज़ार में विभिन्न नामों से उपलब्ध हैं लेकिन ऐसे सभी उत्पादों को निजी लैब में विकसित किया गया है और यह पहला मौका है कि 'डीआरडीओ' की तकनीक के इस्तेमाल से ऐसी तकनीक विकसित की गई है।
डीआरडीओ की ओर से डॉक्टर एडी सेमवाल कहते हैं, "हम इस तकनीक को इस कंपनी की क्षमता और उनके द्वारा विकसित किट को जांचने के बाद ही हस्तांतरित कर रहे हैं।"
डीआरडीओ की ओर से उन्हें यह अधिकार भी दिया गया है कि वे हमारा 'लोगो' इस्तेमाल कर सकते हैं।
इस किट को विकसित करने वाले द्वारकानाथ राठी कहते हैं, "ये तकनीक सेना के पास काफ़ी समय से थी और हमें इसकी जानकारी हमारे एक रिश्तेदार से मिली जो सेना से संबंद्ध थे।"
वो आगे कहते हैं, "ऐसे किट बाज़ार में कई हैं लेकिन उनकी तकनीक पर भरोसा नहीं किया जा सकता था लेकिन डीआरडीओ के नाम से विश्वसनीयता आती है।"
इस प्रोडक्ट की मार्केटिंग का काम देख रहे देवेश बताते हैं कि अपने इस प्रोडक्ट को बेचने में उन्हें ख़ासी मशक्कत करनी पड़ रही है क्योंकि कोई भी डेयरी कंपनी उनकी किट को अपने सेंटर्स पर रखने को तैयार नहीं है।
देवेश कहते हैं, "दुग्ध को-ऑपरेटिव हमारे प्रयास और प्रोडक्ट की सराहना करते हैं लेकिन वो इसे इस्तेमाल करने को तैयार नहीं है क्योंकि उनका मानना है कि वो दूध की जांच अपने स्तर पर करते हैं।"
इस प्रोडक्ट के बारे में पूछ गए सवाल पर मदर डेयरी को-ऑपरेटिव की ओर से जवाब मिला, "हमारे पास दूध जांचने के अपने कड़े नियम व लैब्स हैं, ऐसे में हमें किसी किट पर निर्भर होने की ज़रूरत नहीं।"
वहीं मुंबई में दूध की मार्केटिंग से जुड़े नरसिंह्मा कहते हैं, "हम इस किट को ज़रूर इस्तेमाल कर सकते हैं क्योंकि हमारे पास आने वाला दूध 50 विभिन्न डेयरियों से आता है और ऐसे में सभी नमूनों को जांचने में यह कारगर होगा।"
फ़िलहाल दूध की गुणवत्ता को जांचने वाली इस किट ने 'डीआरडीओ' के सभी टेस्ट पास कर लिए हैं लेकिन दूध उत्पादकों और मिलावट करने वालों से इसके कड़े विरोध को देखते हुए निर्माता कंपनी सोच समझ कर इसका प्रचार करने वाली है।
निर्माता कंपनी के मुताबिक़ बाज़ार में यह किट 1000 रुपए में उपलब्ध कराई जाएगी।
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