हालांकि विज्ञापनों से पीछा छुड़ाकर सीधे वेबसाइट पर जाने के लिए क़ीमत चुकानी होगी.
विज्ञापन मुक्त वेबसाइट देखने के लिए 1 डॉलर से 3 डॉलर की मासिक फ़ीस देनी होगी.
'कॉन्ट्रीब्यूटर' नाम के इस प्रोजेक्ट में हिस्सेदार किसी साइट पर जब उपभोक्ता जाएंगे तो उन्हें विज्ञापनों की जगह धुंधली सी नज़र आएगी.
गूगल के इस प्रयोग में अब तक कुछ वेबसाइटें शामिल हुई हैं जिनमें साइंस डेली और अर्बन डिक्शनरी हैं ताकि इसका परीक्षण किया जा सके.
परीक्षण में विकीहाओ और मैशेबल भी हिस्सेदारी कर रही हैं.
फ़ायदा
उपभोक्ताओं को यह सुविधा अपने गूगल अकाउंट से लॉग इन करने पर मिलेगी
फ़िलहाल इस सेवा का लाभ कुछ ही लोग उठा सकते हैं जिन्हें गूगल आमंत्रित करे क्योंकि यह अभी एक प्रयोग है.
'कॉन्ट्रीब्यूटर' ख़ुद को फंड जुटाने का एक अतिरिक्त प्रयोग बताता है.
इसके पेज पर एक सवाल रखा गया है, ''आज इंटरनेट मुख्य तौर पर विज्ञापनों के ज़रिए फंड किया जाता है लेकिन अगर एक ऐसा रास्ता हो जो सीधे उन वेबसाइटों को फ़ायदा दे जिन्हें आप रोज़ देखते हैं तो कैसा रहेगा?''
इस नई व्यवस्था के ज़रिए आने वाले पैसे का एक हिस्सा गूगल को मिलेगा और एक हिस्सा वेबसाइट को.
उपभोक्ताओं को यह सुविधा अपने गूगल अकाउंट से लॉग इन करने पर मिलेगी.
'वॉल स्ट्रीट जर्नल' और 'द टाइम्स' जैसी वेबसाइट्स ने पहले से ही प्रायोगिक आधार पर शुल्क आधारित सुविधा दे रखी है लेकिन वहां अब भी विज्ञापन दिखाए जा रहे हैं.
'रीडेबिलिटी' नाम की एक सेवा ने कॉन्ट्रीब्यूटर की तरह का प्रयोग किया था लेकिन 2012 में वह बंद हो गई.
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