नई दिल्ली (आईएएनएस)। टीम इंडिया ने आखिरी बार आईसीसी टूर्नामेंट साल 2013 में जीता था। उसके बाद से भारतीय टीम के पास कई मौके आए मगर टीम चैंपियन नहीं बन पाई। इसके लिए टीम में कप्तानी से लेकर प्लेइंग इलेवन तक कई बदलाव हुए। यहां तक कि फिटनेस स्टैंडर्ड में भी ऊंचे मानक तय किए गए। मगर टीम इंडिया पिछले सात सालों से आईसीसी ट्राॅफी नहीं जीत पाई। साल 2011 वर्ल्डकप जीत में भारतीय खिलाड़ियों को फिट रखने वाले ट्रेनर रामजी श्रीनिवासन ने मौजूदा वक्त में खिलाड़ियों के फिटनेस ऑबसेशन को लेकर सवाल खड़े किए।
फिटनेस के लिए ओवर वेट मायने नहीं रखता
आईएएनएस से बात करते हुए रामजी कहते हैं कि फिट रहने के लिए वेट कम या ज्यादा करने की आवश्यकता नहीं होती। रामजी हैरान हैं कि इस समय फिट रहने की पूरी धारणा बदल गई है। उन्होंने कहा, 'मेरी नजर में खिलाड़ी घर पर भी फिट रह सकता है। बस आपको अपने शरीर को जानने की जरूरत है और क्या आपके लिए काम करता है। मैं सिर्फ वेट ओबेशन पर विश्वास नहीं रखता। हां, यह निश्चित रूप से कुछ एथलीटों के लिए काम करता है, लेकिन यह फिट और स्वस्थ रहने का विकल्प नहीं हैं।'
सचिन, धोनी ने कभी नहीं उठाया भारी वजन
रामजी आगे कहते हैं, 'मैं भारतीय टीम के साथ रहा हूं। इसमें कुछ शानदार क्रिकेटर्स थे, लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि सभी स्मार्ट लोग थे। उन्हें पता होता था कि उनके शरीर को क्या चाहिए। मैंने सचिन तेंदुलकर, एमएस धोनी, वीरेंद्र सहवाग या रोहित शर्मा को कभी नहीं देखा कि वो वेट ट्रेनिंग को लेकर काफी परेशान रहते हों। सभी जिम जाकर एक्सरसाइज करते थे। सचिन अपनी कलाई और कंधे की एक्सरसाइज जरूर करते थे। वहीं धोनी की फिटनेस नैचुरल है।' हालांकि रामजी का कहना है कि, सहवाग काफी स्मार्ट थे, वह कोर एक्सरसाइज करते थे ताकि एनर्जी र मिल सके। सबको एक जैसी एक्सरसाइज नहीं कर सकते रोहित शर्मा को लेकर रामजी कहते हैं, आपने उनके छक्के देखे हैं। वह कितनी दूर गेंद को पहुंचाते हैं। ऐसा नहीं कि वह इसके लिए खूब मेहनत करते हों। मैंने रोहित को कभी भारी वजन उठाकर एक्सराइज करते नहीं देखा। समस्या यह है कि हम यह भूल जाते हैं कि किसी के लिए क्या काम करता है। यह जरूरी नहीं कि एक के लिए जो फायदेमंद हो वो दूसरे के लिए भी काम करेगा।
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