हवाई जहाज दुर्घटना में नेताजी की मौत की खबर उनके साथ ही सुनी
कर्नल नवाजुद्दीन नेताजी सुभाष चंद्र बोस के महज ड्राइवर ही नहीं बल्कि उनके अंगरक्षक और करीबी शख्स भी थे। नवाजुद्दीन इस बात के अकेले गवाह थे कि वायुयान दुर्घटना में नेताजी की मौत पर विवाद बेमायनी है। क्योंकि उनका कहना था कि 18 अगस्त 1947 को नेताजी की उस दुर्घटना में मौत की खबर उन दोनों ने एक साथ ही बैठकर वर्मा के जंगल में सुना था। इसके दो दिन बाद उन्होंने ही आखिरी बार 20 अगस्त 1947 को नेताजी को उन्होंने बर्मा में छितांग नदी के पास नाव पर छोड़ा था।
आजाद हिंद फौज की अपनी करेंसी
निजामुद्दीन ही बताया करते थे कि नेताजी ने अपनी कैरेंसी भी छपवाई थी। जो वर्मा से छप कर आती थी और उसे मांडले कहा जाता था। उन्हें 18 रुपए तनख्वाह मिला करती थी। हिन्द फौज ने ही पहली बार 500 का नोट चलाया था और ये नोट भारत के साथ रंगून और सिंगापूर में भी मान्य था। इस नोट पर सुभाष चन्द्र बोस की तस्वीर भी छपी हुई थी।
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नहीं मिला स्वतंत्रा सेनानी का सम्मान और सुविधा
हैरानी की बात है कि नवाजुद्दीन के आजाद हिंद फौज का हिस्सा होने और नेताजी के इतना करीबी होने की जानकारी सबको थी, इसके बावजूद किसी सरकार ने उन्हें स्वतंत्रा सेनानी का ना तो सम्मान दिया, नाही कोई सुविधा प्रदान की।
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मोदी ने छुए पैर
हालाकि 2014 में जब भाजपा सत्ता में आयी और नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री का पद संभाला तो उनहोंने कर्नल के पैर छू कर उनका आर्शिवाद लिया था। इसके बाद भी नवाजुद्दीन को कोई सुविधा नहीं मिली।
दुनिया में इनसे महंगा कुछ भी नहीं
वर्ल्ड रिकॉर्ड का दावा
अपनी मृत्यु के समय नवाजुद्दीन 117 साल की आयु पार कर चुके थे। ऐसे में रोटरी क्लब ने दावा किया है कि वे उनका नाम विश्व के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति के रूप में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज करवायेंगे। क्योंकि इससे पहले सबसे बुजुर्ग व्यक्ति के रूप में जापान के एक शख्स का नाम दर्ज था जिनकी 115 साल की आयु में मृत्यु हो गयी थी। वहीं कर्नल और उनकी पत्नी अजबुल निशा जो 107 साल की हैं ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में अपना एकाउंट खोला था। उस समय उनके दिए गए प्रमाणपत्रों के आधार पर वे दोनों बैंक में खाता खुलवाने वाले सबसे बुजुर्ग जोड़े के रिकॉर्ड के दावेदार माने जा सकते हैं।
नाती के साथ हुई धोखाधड़ी
पिछले दिनों एक ये भी मामला सामने आया था कि निजामुद्दीन के नाती से एमबीबीएस कराने के नाम पर पौने चौदह लाख रुपये रूपए हड़पे गए। कर्नल की रिपोर्ट के अनुसार उनका नाती वकार चीन के यूनिवर्सिटी ऑफ जियान में एमबीबीएस में दाखिला लेना चाहता था। उसे शहर के दो डॉक्टरों ने वादा किया कि वे उसका उस मेडिकल कालेज में दाखिला करा देंगे क्योंकि उनमें से एक आरोपी डॉक्टर का भाई चीन में रहता था। बाद में वकार से तीनों ने तीन किस्तों में 13 लाख 75 हजार रुपये लिए और कुछ दिन बाद चीन के उस कॉलेज से एक लेटर जिस पर चीनी भाषा में कुछ लिखा हुआ था उसके पास भेजा। लेटर मिलने पर वकार 7 नवंबर 2015 चीन गया तो उसे पता चला कि उसके साथ जालसाजी हुई है।
नेताजी की ग्रेट ग्रैंड डॉटर पिछले दिनों नवाजुद्दीन जी से मिलने गयीं और उनका सम्मान भी किया। ये वीउियो उसी समय का है।
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