नई दिल्ली (पीटीआई)। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा के लिए ग्रेनाइट के विशालकाय पत्थर को तेलंगाना से दिल्ली तक ले जाने के लिए 100 फुट लंबे ट्रक का इस्तेमाल किया जा रहा है, इस ट्रक को मार्गों के टोल प्लाजा से गुजारने के लिए कुछ टोल प्लाजा के गेट को अस्थायी रुप से तोडा जा रहा है। ग्रेनाइट स्टूडियो इंडिया के डायरेक्टर रजत मेहता,जिन्होने तेलंगाना के खम्मम में एक खदान से टेलीफोन ब्लैक स्टोन की सप्लाई की है,रजत मेहता ने कहा पत्थर की ट्रांसपोर्टिंग के लिए खदान से हाईवे तक ले जाने के लिए एक "अस्थायी रोड" बनाई जानी थी। रजत मेहता ने पीटीआई को बताया कि "यह पत्थर का एक विशालकाय पत्थर था, जिसका वजन 280 मीट्रिक टन और यह 32 फीट लंबा था। यह 11 फीट ऊंचा और 8.5 फीट चौड़ा था। इस पत्थर से नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की प्रतिमा बनाई गई थी। लेकिन इसे लाने के लिए दिल्ली ने कई चुनौतियों का सामना किया गया।

65 मीट्रिक टन का था पत्थर
बोस की मूर्ति का निर्माण करने के लिए ग्रेनाइट मोनोलिथ के पत्थर को तराशा गया था, जिसका वजन 65 मीट्रिक टन था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार शाम नई दिल्ली में इंडिया गेट के सामने सुभाष चन्द्र बोस की मूर्ति का अनावरण किया था। कल्चरल मंत्रालय ने बताया था कि 100 फुट लम्बे ट्रक को तेलंगाना से विशालकाय पत्थर को नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट तक ले जाने के लिए विशेष रुप से डिजाइन किया गया था।

रास्ते में 100 फीट लंबे ट्रक के 42 टायर फटे
रजत मेहता ने बताया कि खदान से नेशनल हाईवे तक का हिस्सा कच्चा था और पत्थर को हाईवे तक ले जाने के लिए थोड़े समय में एक अस्थायी सड़क बनाई गई थी। रास्ते में 100 फीट लंबे ट्रक के 42 टायर फट गए और इससे 72 घंटे का समय बर्बाद हो गया। ट्रक को दिल्ली पहुंचने के लिए 5 राज्यों का सफर तय करना पडा। ट्रक को चलाने के लिए 4 ड्राइवर थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 21 जनवरी को आश्वासन दिया था कि इंडिया गेट पर ग्रेनाइट से बनी नेताजी की एक भव्य प्रतिमा को राष्ट्र के "ऋण" के प्रतीक के रूप में स्थापित किया जाएगा। प्रधानमंत्री ने गुरुवार को नेताजी की प्रतिमा का अनावरण किया।

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