जेल से बाहर आने के बाद, उनका साक्षात्कार करने वाले भारत के पहले पत्रकार सईद नक़वी से मंडेला के साथ हुई उनकी बातचीत के अनुभवों को जानने के लिए, कुछ दिनों पहले उनसे बात की थी बीबीसी संवाददाता रेहान फ़ज़ल ने.
सईद अपने साक्षात्कार यात्रा की शुरुआत के बारे में कहते हैं, ''जब ये तय हुआ कि फ़रवरी में किसी भी दिन मंडेला जेल से बाहर आएंगे, तो ज़ाहिर था कि हमें केपटाउन जाना पड़ता क्योंकि ये जेल केपटाउन के पास थी."
सईद ने बताया, "न तो हमें ये पता था कि वो किस दिन और किस समय जेल से बाहर आएंगे. हमें पता था कि जेल के बाहर लोगों की भारी भीड़ होगी, तो ऐसे में उनसे बात करना बहुत मुश्किल होगा और वहाँ हमारी आवाज़ कौन सुन पाता.''
जेल से बाहर
वे बताते हैं, ''हमें एक टीले पर बिठा दिया, जहाँ से हम मंडेला के जेल से बाहर आने का पूरा नजारा देख सकते थे. तभी थोड़ी देर में एक तेज़ आवाज़ उठी, लोगों ने नारे लगाने शुरू कर दिए. लोगों ने 'मदीबा' का गाना शुरू कर दिया.''
सईद के मुताबिक, ''फिर हमने देखा कि मंडेला बांए हाथ से अपनी पत्नी विनी मंडेला का हाथ थामे, दूसरे हाथ से लोगों का अभिवादन स्वीकार कर रहे थे. सूट पहने मंडेला हंसते हुए जेल से बाहर निकल रहे थे. वो एक ऐतिहासिक क्षण था. मैंने महसूस किया कि मेरी आँखों में आँसू आ गए थे.''
सईद बताते हैं, ''लेकिन उस समय सुरक्षा घेरा कड़ा होने की वजह से हम मंडेला से नहीं मिल सके. तभी ये खलबली मची कि जेल से जाने के बाद मंडेला आज रात कहाँ रुकेंगे. लेकिन हमारे मेज़बान गालिब ने हमें बताया कि नेल्सन मंडेला आज रात बिशप डेसमंड टूटू के केपटाउन के घर में रहेंगे. लेकिन ये बात केपटाउन में किसी और को नहीं पता थी.''
सईद कहते है, ''ये पता चलने के बाद के बाद कि मंडेला रात में बिशप के बंगले में रुकेंगे, हमारे सामने सवाल उठा कि हम उन तक पहुँचेंगे कैसे?
'टूटू के घर ले जाने की ज़िम्मेदारी भी गालिब ने अपने ऊपर ले ली. शिवर, जो कि बिशप टूटू के स्कूल के समय से दोस्त थे, उन्होंने कहा कि हम रात में पीछे से पेन्ट्री की तरफ से घर में प्रवेश करें. इसके बाद हम चुपचाप बंगले पीछे की तरफ जाकर एक छोटे से गेट से निकलकर चुपचाप चलते हुए मंडेला से मिलने जा पहुंचे.''
'चिकन करी और चावल'
सईद कहते हैं कि मंडेला अमीना के साथ बिल्कुल एक दोस्त की तरह बैठे हुए थे औऱ बात कर रहे थे. हमारे पहुँचने पर अमीना ने मंडेला से मेरा परिचय कराया.
सईद नक़वी मंडेला के साथ हुई अपनी बातचीत को याद करते हुए कहते हैं, ''मंडेला ने मुझसे हाथ मिलाया और फिर एक मिनट रुकने को कहा. इसके बाद उन्होंने रेडियो पर बीबीसी का एक कार्यक्रम 'अफ्रीका कॉलिंग' लगाकर अमीना को सुनने को दिया. एक बच्चे की तरह उनकी इस बात में दिलचस्पी थी कि दुनिया का उनकी रिहाई पर क्या कहना है. जेल से छूटने के बाद लोग कैसी प्रतिक्रिया दे रहे हैं.?''
सईद बताते हैं कि बातचीत के बाद बिशप टूटू खाने के लिए बुलाने आए तो उन्होंने कहा कि आप लोग भारत से आए हैं इसलिए जान लीजिए कि मंडेला ने जेल से निकलने के बाद हमसे उस खाने का अनुरोध किया था जो उन्होंने पिछले 27 सालों से नहीं खाया था.
नक़वी कहते हैं, ''जब खाने की टेबल पर हम खाना खाने बैठे तो खाने में भारतीय चिकन करी और चावल थे. वाकई वो भी एक ऐतिहासिक क्षण था.''
सईद कहते हैं कि इसके बाद जब हम मेंशन से बाहर निकल तो लोग हमसे पूछने लगे कि मंडेला से क्या बात हुई और हमने जो-जो बताया वही ख़बर बन गई.
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