मिलिए स्मारक के कारीगर से
मिलिए मंजीत सिंह गिल से। ये वो आर्टिस्ट हैं, जिन्होंने नीरजा का एक बेहद सजीव सा दिखने वाला स्टैचू बनाया और उसे यहां के पार्क में लगाया है। इस पार्क का नाम है 'महान देशभक्त पार्क'। वैसे बता दें कि पंजाब के इस छोटे से गांव में पहुंचना आसान नहीं है। मोगा कोटकापुरा रोड पर स्थित इस गांव का रास्ता भटिंडा से डेढ़ घंटे की दूरी पर है। बताया गया है कि बीते वीकेंड पर करीब 2000 लोग इस गांव में आए थे सिर्फ उनके इस स्टैचू को देखने के लिए।
इन्हें अब मालूम पड़ा नीरजा के बारे में
इनमें से 30 लोग तो सिर्फ तमिलनाडु से थे। इसके अलावा बड़ी संख्या में रिटायर गर्वनमेंट सर्वेंट और छात्र भी शामिल थे। ये वो लोग थे, जिन्होंने हाल ही में रिलीज हुई फिल्म 'नीरजा' देखी थी। मंजीत कहते हैं कि उन्होंने 2013 में सर्वे के बाद इस स्टेचू को बनाने पर काम शुरू किया।
मंजीत कहते हैं
इस बारे में मंजीत कहते हैं कि वो वाकई स्तब्ध हैं ये देखकर कि कॉलेज, स्कूल और अन्य अच्छी जगहों पर भी लोग वास्तव में नीरजा के बारे में बहुत कम जानते हैं। चंडीगढ़ के अलावा, अन्य जगहों पर बहुत कम लोग हैं ऐसे जो नीरजा के बारे में कुछ बता पाते हैं। यहां तक की दिल्ली में भी लोग उनको बहुत अच्छे से नहीं जानते। वे उनके बारे में सिर्फ इतना जानते हैं कि उनको भारत सरकार ने मरणोपरांत अशोक चक्र से नवाजा।
ऐसे तैयार किया मंजीत ने ये स्टैचू
उस समय मंजीत ने उनकी पूरी कहानी के बारे में जाना। उनके कपड़े, व्यक्तित्व और काम के बारे में पूरी तरह से पड़ताल की और तब उनका स्टैचू बनाने का फैसला किया। तब कहीं जाकर 2014 में उनका ये स्टैचू तैयार हो सका। मंजीत ने फाइन आर्ट से बैचलर डिग्री ले रखी है। इसके बाद चंडीगढ़ में गर्वनमेंट कॉलेज और आर्ट्स से मास्टर्स किया। इसके बाद पंजाब सरकार के साथ इन्होंने क्लास वन ऑफीसर के तौर पर भी काम किया।
और भी 40 स्टैचू हैं इस पार्क में
आपको बता दें कि इस पार्क में नीरजा के अलावा और भी 40 स्टैचू बने हुए हैं। इनमें भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम, धावक मिल्खा सिंह, शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव जैसे वीरों के भी स्मारक शामिल हैं। ये पार्क मंजीत के अपने ही खेत में स्थित है और यहां स्मारक बनाने में जो भी खर्च आता है, उसका वहन मंजीत खुद ही करते हैं।
नीरजा का परिवार करता है धन्यवाद
इस पार्क में बने नीरजा के स्मारक पर उनके भाई अनीश भानोट कहते हैं कि मंजीत के बनाए स्मारक के लिए उनका परिवार बहुत-बहुत शुक्रगुजार है।
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