मुंबई (ब्यूरो)। 'जीनियस' को हां कहने की क्या वजह रही?
निश्चित रूप से फिल्म के निर्देशक अनिल शर्मा और मेरा किरदार। उन्होंने 'गदर', 'अपने' समेत कई बेहतरीन फिल्में बनाई हैं। मैं उनकी फिल्मों का फैन रहा हूं। उनकी फिल्मों का स्टाइल अलग होता है। मैं उनके साथ काम करना चाहता था। उन्होंने मुझे फोन पर किरदार के बारे में बताया। तब मैं थोड़ा व्यस्त था। बाद में फिर हमने बात की। किरदार निभाते समय अंदाजा नहीं था कि उसे इतनी हाइप मिलेगी।
'जीनियस' में आप नकारात्मक किरदार में हैं..?
मैं उसे पूर्ण रूप से निगेटिव किरदार नहीं कहूंगा। उसका व्यवहार और विचारधारा उसकी परवरिश की वजह से है। वह उसके अनुरूप ही काम का रहा है। उसके हिसाब से वह निगेटिव नहीं है। वह काफी जीनियस है। बस वह चीजों को अपने तरीके से चाहता है। हर इंसान काम को अपने तरीके से करना चाहता है। वैसे ही मेरा किरदार भी है।
आपके हिसाब से जीनियस की परिभाषा क्या है?
सभी जानते हैं कि जीनियस का अर्थ होता है प्रतिभाशाली, बुद्धिमान और क्रिएटिव शख्स। मेरे हिसाब से जीनियस का अर्थ है अपने कार्यक्षेत्र में दक्ष होना। उसकी हर बारीकी से वाकिफ होना।
आप पर किस नकारात्मक किरदार का प्रभाव रहा है?
मुझ पर निगेटिव किरदारों का प्रभाव कभी नहीं रहा। यहां तक की हीरो का असर भी नहीं रहा। मुझे ग्रे शेड किरदार प्रभावित करते हैं। वह इंसानी फितरत के करीब होते हैं। मुझे प्रतिभावान, काबिल और योग्य इंसान प्रभावित करते हैं, शैतान या फरिश्ते नहीं। काबिल लोगों में वे सभी लोग आते हैं, जिन्होंने मानव और समाज के हित में काम किया है।
'जीनियस' में हेलिकॉप्टर में भी आपने एक सीन शूट किया है। उसका कैसा अनुभव रहा?
उस सीन को हमने मॉरीशस में शूट किया था। उसे करने में बहुत मजा आया। मैं और पायलट उस शॉट को करने के लिए समुद्र में थोड़ा घुमाव लेकर निकलते थे। फिर वापस आते थे। उस शॉट के करीब 12 रीटेक हुए थे। हालांकि शुरुआत में उस सीन को करने में डर भी लगा था। दरअसल, पायलट बीच में हाथ छोड़कर हेलीकॉप्टर चलाता था।
अनिल शर्मा के पुत्र उत्कर्ष और इशिता इस फिल्म से शुरुआत कर रहे हैं। उनके साथ काम का अनुभव कैसा रहा?
उत्कर्ष के साथ करने का अनुभव अच्छा रहा। काम के दौरान लगा नहीं कि यह उनकी पहली फिल्म है। वह समझदार और काम के प्रति समर्पित अभिनेता है। उन्होंने किरदार को बेहद शिद्दत से आत्मसात किया है। इशिता ठाकुर भी नवोदित हैं। दोनों ने जीतोड़ मेहनत की।
आप बैक टू बैक बायोपिक कर रहे हैं, जबकि बाकी कलाकार उससे परहेज करते हैं..?
मैं किरदारों के अनुरूप फिल्में करता हूं। मैंने जितनी बायोपिक की हैं, वे सभी प्रेरणादायक शख्सियत हैं। ये शख्सितें एक-दूसरे से बेहद अलग हैं। सआदत हसन मंटो अपनी लेखनी और बेबाकी के लिए विख्यात रहे हैं। 'माझी द माउंटनमैन' एक व्यक्ति की दृढ़ इच्छाशक्ति का परिणाम था कि वह अपने लक्ष्य को हासिल कर सका। इन किरदारों के जरिए मुझे अलग-अलग जिंदगी को जीने और उन्हें करीब से जानने का अवसर मिलता है।
स्मिता श्रीवास्तव
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