कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 में अपनी रुचि के दो विषयों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालते समय ऐसे तथ्यों से सामना हुआ जो मुझे लगा कि आपके साथ भी शेयर किए जाने चाहिए। हालांकि आंकड़ों की बारीकियों में जाते समय हमें यह ध्यान रखना होगा कि यह एक सैंपल सर्वे है, नमूने जिन्हें सावधानी के साथ तय मानकों के अनुरूप जुटाया गया है। दूसरा यह कि आंकड़ों को समग्रता में देखना होगा। आय, रोजगार व शिक्षा के साथ रखकर उन्हें देखने पर तस्वीर बदलती दिखेगी। साथ ही भी जोड़ता चलूं कि डेटा को देखने व इंटरप्रेट करने का हम सभी का नजरिया अलग होता है।
चलिए मूल विषय पर आते हैं, पहला मास मीडिया एक्सपोजर व दूसरा इंटरनेट की पहुंच। मैं पहले इंटरनेट की बात करना चाहूंगा, पहले विषय पर अगली कड़ी में बात करेंगे। हम बार-बार सुनते आए हैं कि भारत में इंटरनेट की बढ़ती पहुंच किस तेजी से अवसरों के द्वार खोल रही है। बहरहाल इस सर्वे में नजर आए सबसे मजेदार पहलू का जिक्र सबसे पहले कर लेते हैं।
क्या आप शादीशुदा हैं?
अगर आप अविवाहित हैं तो इस बात की अधिक संभावना है कि आपने कभी न कभी इंटरनेट का उपयोग किया होगा। National Family Health Survey-5 के मुताबिक विवाहितों की तुलना में अविवाहित स्त्री व पुरुषों (50% व 57% क्रमश:) ने कभी न कभी इंटरनेट चलाया होगा इसकी गुंजाइश ज्यादा है। इन आंकड़ों से भारत मैट्रीमोनी डॉट कॉम व शादी डॉट कॉम समेत तमाम मैट्रीमोनियल वेबसाइट की बांछे खिल सकती हैं। वैसे भी स्टैटिस्टा डॉट कॉम पर मौजूद डेटा के मुताबिक साल 2022 में भारत में ऑनलाइन विवाह के बाजार का आकार 2017 के 0.11 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 0.26 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है।
भारत में इंटरनेट की पहुंच
इस आंकड़े से इतर भारत में इंटरनेट की पहुंच की जो तस्वीर उभरती है वह बताती है कि अभी कितना लंबा रास्ता तय करना बाकी है। पुरुषों व महिलाओं, शहरी व ग्रामीण के बीच की खाई पाटना देश में इंटरनेट के भविष्य के लिए जरूरी है। NFHS-5 में सामने आए आंकड़े बताते हैं कि 15-49 वर्ष के आयु वर्ग में 33 प्रतिशत महिलाओं व 51 प्रतिशत पुरुषों ने कभी न कभी इंटरनेट चलाया है। महिला व पुरुष इंटरनेट यूजर्स के बीच का अंतर यहां साफ नजर आता है। शहरी इलाकों में 52 प्रतिशत महिलाएं व 66 प्रतिशत पुरुष कभी न कभी इंटरनेट यूजर रहे हैं। वहीं ग्रामीण इलाकों में एक चौथाई महिलाओं व 43 प्रतिशत पुरुषों ने इंटरनेट का उपयोग किया है। शहर व गांवों के बीच का डिजिटल डिवाइड भी स्पष्ट है।
कितना पढ़े हो?
कितना पढ़े हो, आप भी कहेंगे कैसा बेतुका सवाल है। कम से कम इंटरनेट यूजर्स के मामले में तो यह बिल्कुल बेतुका नहीं है। अगर आप भारत में रहते और 12 या उससे अधिक साल पढ़ाई की है तो इस बात की पूरी गुंजाइश है कि आपने इंटरनेट यूज किया होगा। महिलाओं के लिए यह आंकड़ा 72 प्रतिशत वहीं पुरुषों के लिए तीन चौथाई है। यह साफ दिखता है कि पढ़ाई पुरुष व महिला इंटरनेट यूजर्स के बीच के अंतर को पाट सकती है। पांच वर्ष से कम शिक्षा पाने वालों में महज 8 प्रतिशत महिलाओं व 24 प्रतिशत पुरुषों ने कभी इंटरनेट चलाया होगा। आपकी आमदनी के साथ-साथ इंटरनेट यूजर होने की भी संभावना भी बढ़ती जाती है। NFHS-5 के हाईएस्ट वेल्थ क्विंटाइल (इसे कभी बाद में एक्सप्लेन किया जाएगा) में आने वाले 69 प्रतिशत महिलाएं व 78 प्रतिशत पुरुषों इंटरनेट यूजर हैं।
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