KANPUR: वेटरन एक्टर नसीरुद्दीन शाह का मानना है कि सिनेमा वक्त का रिकॉर्ड रखने का एक जरिया होता है। उनका कहना है कि सिनेमा आने वाली पीढ़ी के लिए होता है, ऐसे में उनसे जितना पॉसिबल हो सकेगा वह उतनी सोशली रिलेवेंट मूवीज करेंगे।
नसीर के मुताबिक, 'मुझे लगता है कि सिनेमा सोसाइटी को बदल नहीं सकता, कोई क्रांति नहीं ला सकता और यह एजुकेशन का जरिया भी नहीं बन सकता। हां, डॉक्यूमेंट्रीज एजुकेटिव हो सकती हैं पर फीचर फिल्म्स नहीं। लोग उन्हें देखते हैं और भूल जाते हैं। मूवीज सच में जो काम कर सकती हैं वह है अपने वक्त का रिकॉर्ड रखना। मेरा सीरियस वर्क अपने दौर का रिप्रेजेंटेटिव है। सिनेमा सर्वाइव करेगा। लोग 200 साल बाद भी मूवीज देखेंगे और तब उन्हें 2018 का इंडिया देखने के लिए सलमान खान की मूवीज न देखनी पड़ें तो ही अच्छा है।'
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KANPUR: वेटरन एक्टर नसीरुद्दीन शाह का मानना है कि सिनेमा वक्त का रिकॉर्ड रखने का एक जरिया होता है। उनका कहना है कि सिनेमा आने वाली पीढ़ी के लिए होता है, ऐसे में उनसे जितना पॉसिबल हो सकेगा वह उतनी सोशली रिलेवेंट मूवीज करेंगे।
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नसीर के मुताबिक, 'मुझे लगता है कि सिनेमा सोसाइटी को बदल नहीं सकता, कोई क्रांति नहीं ला सकता और यह एजुकेशन का जरिया भी नहीं बन सकता। हां, डॉक्यूमेंट्रीज एजुकेटिव हो सकती हैं पर फीचर फिल्म्स नहीं। लोग उन्हें देखते हैं और भूल जाते हैं। मूवीज सच में जो काम कर सकती हैं वह है अपने वक्त का रिकॉर्ड रखना। मेरा सीरियस वर्क अपने दौर का रिप्रेजेंटेटिव है। सिनेमा सर्वाइव करेगा। लोग 200 साल बाद भी मूवीज देखेंगे और तब उन्हें 2018 का इंडिया देखने के लिए सलमान खान की मूवीज न देखनी पड़ें तो ही अच्छा है।'
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