तूफान की पल-पल की जानकारी देगा सिग्नस सैटेलाइट सिस्टम
कानपुर। पूरी दुनिया भर में हर साल अलग अलग देशों और इलाकों में आने वाले भयंकर समुद्री तूफान ना सिर्फ करोड़ों अरबों रुपए की संपत्ति का नुकसान करते हैं बल्कि सैकड़ों, हजारों लोगों की जानें भी ले लेते हैं। वजह यह है कि मौसम विज्ञान और तकनीक के बावजूद वैज्ञानिक तूफानों की सही पोजीशन और उसकी ताकत का सटीक अंदाजा नहीं लगा पाते। अब नासा ने इसी प्रॉब्लम का बड़ा समाधान खोजा है। नासा ने Cygnss नाम का एक हरीकेन हंटिंग सेटेलाइट सिस्टम बनाया है जो कि अगले साल तक पूरी तरह काम करने लगेगा। इसका पूरा नाम है 'साइक्लोन ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम'। रायटर्स और डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक नासा का यह नया सिस्टम हर एक तूफान की रग-रग से वाकिफ होगा और धरती पर आने वाले हर एक तूफान के ठीक ऊपर अंतरिक्ष में स्थित होकर उसकी पल-पल की निगरानी करेगा। यानि कि कोई तूफान कितना शक्तिशाली है और कहां हमला करने वाला है इसकी पूरी जानकारी यह सैटेलाइट्स तूफान आने से काफी पहले ही धरती पर भेज देगा, ताकि इसकी मदद से लोगों को तूफान से बचने में पूरी मदद मिल सके। नासा के ऑफिशियल ब्लॉग के मुताबिक नासा ने अपना सिग्नस सैटेलाइट 15 दिसंबर 2016 को स्पेस में लॉन्च किया था, जो यह साल खत्म होते होते पूरी तरह से काम करने लगेगा।
तूफान की ताकत और दिशा की देगा सटीक जानकारी
सिग्नस सेटेलाइट सिस्टम की मदद से किसी भी जगह पर तूफान के पहुंचने से काफी पहले ही उस तूफान की क्षमता का काफी हद तक अंदाजा हो जाएगा। दरसल मौसम विज्ञान और हरिकेन से जुड़ी भविष्यवाणी करने के लिए जो दुनिया में जो वर्तमान ट्रैकिंग सिस्टम इस्तेमाल किए जाते हैं। वो तूफान की दिशा तो बताते हैं लेकिन तूफान की असली ताकत का सही पता नहीं बता पाते लेकिन नासा का सिग्नस सेटेलाइट सिस्टम इसी कमी को पूरा करके पूरी दुनिया में हरीकेन वार्निंग सिस्टम को काफी मजबूत करेगा। इससे खासतौर पर अमेरिकी महाद्वीप में आने वाले सालाना खतरनाक तूफानों से जान माल की क्षति में कमी आने की उम्मीद है।
कैसे काम करता है नासा का सिग्नस?
नासा ब्लॉग के मुताबिक तूफानों को खोजने और उनकी पल-पल की रिपोर्ट देने के लिए नासा ने 'सिग्नस' नाम का कई सैटेलाइट्स का एक भारी भरकम तंत्र बनाया है जो कि धरती के इनर कोर में मौजूद तूफानों की हवाओं की निगरानी और मेजरमेंट करेगा। नासा हरिकेन हंटिंग सेटेलाइट सिस्टम यानि सिग्नस को नासा पिछले काफी समय ये टेस्ट कर रही है। नासा के सिग्नस सैटेलाइट सिस्टम में 8 मिनि सैटेलाइट्स मौजूद है। जो कि किसी भी खतरनाक तूफान की छमता को काफी पहले ही भांप सकते हैं। ताकि तूफान जब कहीं हमला करे तो लोग सुरक्षित ठिकानों तक पहुंच चुके हों। नासा का सिग्नस तूफानों की ट्रैकिंग शुरु कर चुका है, लेकिन अगले साल की शुरुआत तक यह पूरी तरह काम करने लगेगा। सिग्नस वैज्ञानिकों को यह भी बताएगा कि वह तूफान के रास्ते में आने वाले इलाकों में लोगों को घर छोड़कर सुरक्षित ठिकानों पर जाने की जरूरत है या नहीं।
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