एक ट्वीट में मोदी ने घोषणा की कि अफ़ग़ानिस्तान से लौटते हुए वे प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ से लाहौर में मिलेंगे।
शुक्रवार को नवाज़ शरीफ़ का जन्मदिन भी है।
यह पहली बार है जब मोदी ने पाकिस्तान में शरीफ़ से मुलाक़ात की है।
किसी भारतीय प्रधानमंत्री की करीब 12 साल बाद ये पहली पाकिस्तान यात्रा है। इससे पहले 2004 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पाकिस्तान की यात्रा पर गए थे।
शुक्रवार को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पंडित मदन मोहन मालवीय का भी जन्मदिन है। मोदी ने ट्विटर पर वाजपेयी और मालवीय को भी याद किया।
16 साल पहले फरवरी 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी ने दिल्ली-लाहौर बस सेवा शुरू करते हुए बस में लाहौर यात्रा की थी।
भारत-पाकिस्तान सीमा पर वाघा में प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ ने वाजपेयी का स्वागत किया था।
इस दौरान दोनों देशों में के बीच ‘लाहौर घोषणापत्र’ नामक द्विपक्षीय समझौता हुआ था।
मोदी इससे पहले नवाज़ शरीफ़ से 2014 में मिले थे। तब मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए शरीफ़ नई दिल्ली पहुंचे थे।
इसके कुछ दिनों बाद ही दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की दोतरफ़ा बातचीत हुई जिसमें कई मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने के साथ-साथ चरमपंथ के मुद्दे पर भी बात हुई।
बाद में नवंबर 2014 में सार्क देशों के 18वें शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों नेता आमने-सामने आए थे। मोदी ने शरीफ़ से केवल हाथ मिलाया लेकिन दोनों के बीच कोई बातचीत नहीं हुई।
इसके बाद मोदी ने अप्रैल 2015 में 11 भारतीयों को पाकिस्तान की मदद से यमन से निकालने के लिए पाकिस्तान की सराहना की।
इसी साल जुलाई में रूस के शहर उफ़ा में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में भी दोनों नेताओं के बीच बातचीत हुई।
इसके बाद पेरिस में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के दौरान दोनों की संक्षिप्त मुलाकात भी मीडिया में सुर्खियां बनीं।
मोदी दो दिन का रूस यात्रा के बाद अफ़ग़ानिस्तान होते हुए भारत लौट रहे थे। काब़ुल में उन्होंने भारत निर्मित अफ़ग़ानिस्तान की संसद का उद्घाटन किया।
यहां उन्होंने सांसदों को संबोधित करते हुए कहा ''अफ़ग़ानिस्तान में विकास तभी होगा, जब सीमा पार से चरमपंथ नहीं फलेगा-फूलेगा।''
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