संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब देते हुए नरेंद्र मोदी ने जहां अपनी सरकार की प्राथमिकताओं को पेश किया, वहीं बदायूं बलात्कार, पुणे में हिंसा और मनाली में छात्रों के बह जाने की घटनाओं पर चिंता जताई.
उन्होंने सरकार की प्राथमिकता पर ज़ोर देते हुए कहा कि सरकार ग़रीब के लिए होनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि अमीर के लिए सभी सुविधाएं और देखभाल पाना आसान है, लेकिन ग़रीब कहां जाए, इसलिए सरकार का दायित्व है कि वो गरीबों की सुने.
उन्होंने हाल के दिनों में हुए बलात्कार और पुणे में हुई हिंसा की घटनाओं पर अफ़सोस जताया.
तकनीक पर ज़ोर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि अब समय आ गया है कि भारत दुनिया की आंखों में आंखें डाल कर बात करे.
उन्होंने कहा, "बारह सौ वर्षों की ग़ुलामी की मानसिकता हमें परेशान करती है. चमड़ी का रंग भी हमें प्रभावित करता है. हमें इन बातों से बाहर निकल कर भारत जैसे सामर्थ्यवान लोकतंत्र को विश्व के सामने शक्ति के रूप में प्रस्तुत करने का समय आ गया है."
उन्होंने कहा कि देश को आगे बढ़ाने की ज़िम्मेदारी सत्ता पक्ष और विपक्ष, दोनों की है.
मोदी के मुताबिक, "मतदान होने तक हम सब उम्मीदवार थे लेकिन सदन में आने के बाद जनता की उम्मीदों के दूत हैं, तब उम्मीदवार थे, सदन में पहुंचने के बाद जनता की उम्मीदों के रखवाले हैं."
उन्होंने कहा कि किसी के ऊपर जनता की उम्मीदों को पूरा करने का दायित्व है, तो किसी पर उसमें रहने वाली कमियों को उठाने की ज़िम्मेदारी है.
उन्होंने कहा कि ये सत्ता और विपक्ष, दोनों की ज़िम्मेदारी है कि देश में कोई भूखा न हो.
उन्होंने कृषि में तकनीक के प्रयोग को बढ़ावा देने पर ज़ोर दिया. प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की बढ़ती आबादी को देखते हुए इसका कोई विकल्प नहीं है.
पीड़ादायक घटनाएं
उन्होंने कहा कि हाल में हुई घटनाएं अफसोसनाक हैं. उन्होंने कहा, "पुणे की हत्या हो, मां बहनों के बलात्कार हो या मनाली में बहे हुए छात्रों का मामला है. सब पीड़ा देने वाली घटनाएं हैं."
उन्होंने कहा, "सरकारों को काम करना होगा, जनता इंतज़ार नहीं करेगी."
उन्होंने कहा कि बलात्कार का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण बंद करना होगा. उन्होंने नारी के सम्मान किए जाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युवाओं की कौशल क्षमता को बढ़ाने पर भी ज़ोर दिया. उन्होंने कहा कि दुनिया में भारत की छवि 'स्कैम इंडिया' यानी घोटाले वाले देश की बन रही है और इसे 'स्किल्ड इंडिया' यानी कुशल भारत बनाना है.
उन्होंने दलितों और अल्पसंख्यकों को सशक्त बनाने को भी अपनी सरकार की प्राथमिकता बताया.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "अगर शरीर का कोई अंग कमजोर है तो शरीर सशक्त नहीं हो सकता है."
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