क्या कहा सिरीसेना ने
शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता के इस हस्तांतरण में नए प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने भी शपथ ली. गौरतलब है कि रानिल अब तक विपक्ष के नेता थे. इनके बाद सिरीसेना और विक्रमनायके दोनों ने ही इंडिपेंडेंस स्क्वायर में अपने पद और गोपनीयता की शपथ ली. इस शपथ समारोह में सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति के श्रीपावन ने सिरीसेना को शपथ दिलाई. शपथ लेते समय नए राष्ट्रपति ने कहा, ‘अब मैं सुनिश्चित करूंगा कि जिस बदलाव का मैंने वादा किया है उसे लाऊं. मैं श्रीलंका के दूसरे देशों के साथ संबंध मजबूत करूंगा, ताकि सभी देशों के साथ दोस्ताना रिश्ते रहें.’ स्पष्ट शब्दों में उन्होंने कहा कि वह दूसरा कार्यकाल नहीं मांगेंगे. इसके साथ ही जोड़ते हुये उन्होंने यह भी कहा ‘हमारे पास एक विदेश नीति होगी, जो अंतरराष्ट्रीय समुदाय और सभी अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ हमारे संबंधों को मजबूत करेगी. ताकि हम हमारे लोगों को अधिकतम लाभ दिला सकें.’
जब चुनाव आयुक्त ने की घोषणा
अब अगर बात दोनों को मिलने वाले वोटों की करें तो मालूम पड़ता है कि चुनाव में सिरीसेना को 6,217,162 वोट (51.2 फीसद) मिले. वहीं राजपक्षे को 5,768,090 (47.6 फीसद) वोट मिले थे. इसके साथ ही चुनाव आयुक्त महिंदा देशप्रिया ने चुनाव के नतीजे घोषित किये और इस दौरान कहा, ‘मैं घोषणा करता हूं कि मैत्रीपाल सिरीसेना श्रीलंका के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए हैं.’
सुबह ही राजपक्षे ने स्वीकार कर ली थी हार
गौरतलब है कि महिंदा राजपक्षे ने तीसरी बार निर्वाचित होने की इच्छा रखते हुए संविधान में संशोधन करके तय समय से दो साल पहले ही चुनाव करा दिये. ऐसे में चुनाव नतीजों की घोषणा से काफी पहले ही संभावनाओं को देखते हुये राजपक्षे (69) ने सुबह ही अपनी हार को स्वीकार कर लिया था और राष्ट्रपति भवन भी (टेंपल ट्री) खाली कर दिया था. इसके बाद सिरीसेना ने चुनाव में जीतने पर निष्पक्ष चुनाव के लिए राजपक्षे का बहुत बहुत शुक्रिया अदा किया.
क्या बना राजपक्षे की हार का कारण
चुनाव नतीजों को देखकर ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक तमिलों और मुसलमानों ने राजपक्षे के खिलाफ वोट डाला है. बताया जा रहा है कि 2009 में एलटीटीई के खिलाफ युद्ध के आखिरी चरण में हुए मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों को लेकर और सत्ता के विकेंद्रीकरण के वादे के मुताबिक संविधान संशोधन नहीं करने पर तमिल उनसे खासे नाराज थे. वहीं सिरीसेना कुछ ही समय पहले विपक्षी खेमे में शामिल हुए थे. उन्हें मुख्य विपक्षी युनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) और बौद्ध राष्ट्रवादी जेएचयू (हेरीटेज पार्टी) और अन्य तमिल व मुसलिम पार्टियों का समर्थन भी मिला था.
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