टोक्यो (एएनआई)। 11 साल पहले भारत की वित्तीय राजधानी में हुए आतंकी हमले में 160 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। 26/11 की इस घटना को याद करते हुए, कार्यकर्ताओं ने कहा कि लगभग 11 साल पहले, आतंकवाद के एक कायरतापूर्ण कार्य ने 166 निर्दोष लोगों की जान ले ली थी, जिसमें भारतीयों के साथ-साथ विदेशी भी शामिल थे। एक जापानी नागरिक, हशीशी त्सुदा, भी मुंबई में हुए इस आतंकी हमले के शिकार बने, जो कि बिजनेस ट्रिप पर शहर में थे।
मुंबई हमले का मास्टरमाइंड हाफिज सईद
पाकिस्तानी आतंकवादियों में से एक को इस आतंकी हमले के दौरान भारतीय सुरक्षा बलों ने पकड़ लिया था, जो अपराधियों के खिलाफ महत्वपूर्ण सबूत साबित हुआ। जांच में हाफिज सईद के मुंबई हमले का मास्टरमाइंड होने की बात सामने आई जो पाकिस्तान से संचालित प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा (JuD) का प्रमुख है। आतंकवादी समूहों को न केवल भारत में बल्कि दुनिया के अन्य देशों में भी प्रतिबंध लगाया गया है, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, यूरोपीय संघ, रूस और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं।
सईद पर 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर का ईनाम
अमेरिका ने 2008 के मुंबई हमलों में कथित भूमिका के लिए सईद पर 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर का ईनाम भी घोषित किया है। सईद न केवल राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की मोस्ट वांटेड सूची में शामिल है, बल्कि संयुक्त राष्ट्र-नामित आतंकवादी भी है। हालांकि, पाकिस्तान उसके खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय सईद को बचा रहा है। देश ने पेरिस स्थित एफएटीएफ (फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स) की कड़ी जांच और गंभीर चेतावनियों का सामना करने के बावजूद, अभी भी समर्थक आतंक समूहों और व्यक्तियों द्वारा अपनी धरती पर आतंकी वित्तपोषण को रोकने के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं की है। पाकिस्तान के इस रवैये ने पूरी दुनिया में शांति प्रेमियों और मानव अधिकार कार्यकर्ताओं को और भड़का दिया है।
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