कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। कोरोना के बाद अब एक नए वायरस नें लोगों की चिंता को बढ़ा दिया है। इस वायरस का नाम एमपॉक्स है। एमपॉक्स को लेकर डब्ल्यूएचओ नें पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी अनांउस की है। हेल्थ एजेंसी नें इस वायरस को ग्रेड 3 इमरजेंसी में रखा है। जिसका मतलब है कि इस पर विशेष और जल्द ध्यान देने की जरूरत है। इस वायरस के जनवरी 2023 से अब तक करीब 27,000 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। वहीं इस वायरस से अब तक करीब 1100 लोगों की मौत हो चुकी है। एमपॉक्स का यह वायरस कांगों के कुछ हिस्सों के अलावा पूर्वी कांगो से रवांडा, युगांडा, बुरूंडी और केन्या तक पहुंच गया है।
पाकिस्तान तक पहुंच गया वायरस
एमपॉक्स का वायरस अब अफ्रीका तक ही सीमित नहीं है। अफ्रीका के बाद ये वायरस अब पाकिस्तान तक पहुंच गया है। पाकिस्तान में भी इस वायरस का एक मामला सामने आया है। इस मामले की पुष्टि पाकिस्तानी स्वास्थ्य मंत्रालय ने की है। एमपॉक्स के मरीज की उम्र करीब 34 साल है, जो सऊदी अरब से पेशावर पहुंचा था। बताया जा रहा है कि पेशावर पहुंचने के कुछ दिन बाद ही व्यक्ति में इस वायरस के लक्षण दिखने लगे थे। जिसकी पुष्टि पेशावर की खैबर मेडिकल यूनिवर्सिटी ने की है।
पब्लिक हेल्थ एजेंसी ने क्या कहा
पब्लिक हेल्थ एजेंसी का कहना है कि यह वायरस का वही स्ट्रेन है, जो सितंबर 2023 से डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में फैल रहा है। इसे क्लेड 1बी सबक्लेड के रूप में जाना जाता है। पहली बार सितंबर 2023 में सामने आया यह नया वायरल स्ट्रेन डीआरसी के बाहर पाया गया है।
क्या कहा WHO ने
WHO के डायरेक्टर जनरल डॉ टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयेसस नें एक न्यूज कांफ्रेस में कहा, एमपॉक्स के एक नए ग्रुप का उभरना , पूर्वी डीआरसी में में इसका तेजी से फैलना और पड़ोसी देशों में इसके मामले मिलना काफी चिंताजनक है। डीआरसी और अफ्रीका के अन्य देशों में इसके प्रकोप को बचाने के लिए इंटरनेशनल एक्शन की जरूरत है।
क्या है आखिर एमपॉक्स
एमपॉक्स एक वायरल बीमारी है। यह बीमारी मंकीपॉक्स वायरस के कारण होती है। जो कि ऑर्थोपॉक्स वायरस जीन्स की एक प्रजाति है। एमपॉक्स को पहले मंकीपॉक्स के नाम से जाना जाता था। मंकीपॉक्स वायरस की पहचान पहली बार वैज्ञानिकों नें 1958 में की थी, जब बंदरों में पॉक्स जैसी बीमारी का प्रकोप हुआ था। एमपॉक्स वायरस चेचक के परिवार से संबधित है।
किस तरह से फैलता है वायरस
एमपॉक्स वायरल होने वाला संक्रमण है। एमपॉक्स एक इसांन से दूसरे इंसान में स्किन, मुंह या टच में आने से फैल सकता है। मध्य और पश्चिमी अफ्रीका में अधिकांश वो लोग बीमार मिले हैं, जो संक्रमित जानवरों के टच में थे। एक्सपर्टस् का कहना है कि यह संक्रमण कपड़ों या लिनेन जैसी दूषित वस्तुओं के यूज, टैटू की शॉप, पार्लर या अन्य पब्लिक प्लेसेस पर यूज होने वाली चीजों से फैल सकता है। वहीं संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने से भी यह वायरस इंसानों में फैल सकता है।
जानिए क्या हैं इसके लक्षण
एमपॉक्स से संक्रमित लोगों के हाथ, पैर, छाती या शरीर के अन्य हिस्सों पर अक्सर दाने हो जाते हैं। जो बाद में फुंसी और लास्ट में पपड़ी बनाते हैं। एमपॉक्स के अन्य लक्षणों में बुखार, सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द भी शामिल है। इसके अलावा वायरस से लड़ने की कोशिश करते समय लिम्फ नोड्स भी सूज सकते हैं। दुर्लभ मामलों में यह वायरस जानलेवा भी साबित हो सकता है। एमपॉक्स के लक्षण व्यक्ति में वायरस के संपर्क में आने के 21 दिनों में दिखना शुरू हो जाते हैं।
क्या है एमपॉक्स का इलाज
एमपॉक्स का अभी तक कोई इलाज नहीं है। हालांकि WHO इसके लक्षण दर्द और बुखार की दवा लेने की सलाह देता है। सीडीसी का कहना है कि अगर किसी मरीज की इम्यूनिटी अच्छी है तो बिना ट्रीटमेंट केवल देखभाल से ही वह ठीक हो सकता है।
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