- गोरखपुर सदर सांसद ने किया सबसे कम खर्च, वहीं डुमरियागंज के सांसद ने किया सबसे ज्यादा खर्च
- सभी सांसदों के खाते में बची है सांसद निधि की रकम
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GORAKHPUR: शहर के विकास का लंबा-चौड़ा वादा कर चुनाव में ताल ठोंकने वाले नेताजी विकास की इबारत लिखने में नाकाम साबित हुए हैं. अपने क्षेत्र के विकास के लिए दूसरी योजनाओं को तो छोड़ दीजिए, सांसद क्षेत्रीय विकास के लिए मिलने वाली निधि को ही वह पूरी तरह से नहीं खर्च कर सके हैं. उन्होंने कोशिशें तो की हैं, पैसे भी सेंक्शन हुए हैं, लेकिन अपने पांच साल के कार्यकाल में उन्हें इतनी फुर्सत नहीं मिल सकी है कि वह संसदीय क्षेत्र के विकास का लेखा-जोखा बना सकें और जनहित के काम में उन्हें कहा पैसा लगाया और कहां लगाना है, इसका हिसाब-किताब बिठा सकें. हालत यह रही कि देखते ही देखते उनका टेन्योर पूरा हो गया, लेकिन उनको मिलने वाला निधि का पैसा अब भी निधि के खाते में बचा है.
गोरखपुर सांसद ने खर्च किए सिर्फ 85 लाख
गोरखपुर शहर के लोगों ने जिस उम्मीद से अपने सदर सासंद को चुना था, वह भी इस उम्मीद पर खरे नहीं उतर सके. अपनी निधि में मिले फंड का भी वह इस्तेमाल करने में फिसड्डी साबित हुए. हालत यह रही कि सांसद निधि के पांच करोड़ रुपए के एवज में सांसद प्रवीण निषाद ने 4.9 करोड़ रुपए की योजनाओं का खाका तैयार किया था. केंद्र सरकार ने इस मद में 2.45 करोड़ रुपए की पहली किस्त सेंक्शन कर जारी भी कर दी थी, लेकिन इसे अनदेखी कहें या लापरवाही कुल अमाउंट में से सदर सांसद सिर्फ 85 लाख रुपए ही खर्च कर पाए. बाकी 4.2 करोड़ रुपए खाते में ही बचे रहे गए.
किसी ने नहीं किया पूरा खर्च
गोरखपुर-बस्ती क्षेत्र के नौ सांसदों की बात करें तो इनमें से कोई भी एक ऐसा सांसद नहीं है, जिसने मिलने वाली निधि को पूरा खर्च किया हो. सभी सांसदों का 25 करोड़ की कुल निधि में डेढ़ से पांच करोड़ रुपए तक बकाया रह गए हैं. ऐसा भी नहीं है कि शहर में विकास की जरूरत नहीं है या फिर सांसद निधि के जरिए यहां कोई काम कराए नहीं जा सकते हैं या फिर किसी व्यक्ति ने सांसदों से निधि खर्च करने के लिए कोई प्रस्ताव न भेजा हो या कोशिश न की हो. लेकिन इसके बाद भी उनके खाते में पैसा बचना कहीं न कहीं इनकी लापरवाही को दर्शता है. इन सबके बाद भी सांसदों की अनदेखी से विकास की रफ्तार मंद-मंद ही सही, थोड़ा आगे बढ़ी है.
डुमरियागंज के खेवनहार सबसे आगे
गोरखपुर और बस्ती मंडल की बात की जाए, तो यहां यूं तो सभी सांसदों ने कुछ न कुछ पैसा निधि में बच ही गया है. लेकिन सबसे ज्यादा खर्च करने वाले सांसद की बात करें तो यह ताज पिछले चुनाव में कांग्रेस की नय्या छोड़ भाजपा का दामन थामने वाले डुमरियागंज के सांसद जगदंबिका पाल के सिर सजा हैं, जिन्होंने अपनी निधि का 98.15 फीसद हिस्सा खर्च कर दिया है. वहीं सबसे फिसड्डी गोरखपुर सदर के सांसद प्रवीण निषाद रहे हैं, जिनकी निधि से अलॉट हुए फंड का महज 16.02 परसेंट पैसा ही खर्च हो सका है.
संतकबीर नगर में 77.75 फीसद ही खर्च
सांसद निधि को खर्च करने में बांसगांव के सांसद कमलेश पासवान दूसरे नंबर पर हैं. कमलेश पासवान ने अपनी निधि से 93.91 फीसद पैसे खर्च कर दिए हैं. कुशीनगर के सांसद राजेश पांडेय ने कुल सेंक्शन अमाउंट का 85.95 फीसद, महराजगंज के सांसद पंकज चौधरी ने 82.05 फीसद, बीजेपी के जाने-माने दिग्गज नेता कलराज मिश्र ने 91.96 परसेंट वहीं हाल में ही जूता कांड से चर्चा में आए संतकबीरनगर के सांसद शरद त्रिपाठी 77.75 परसेंट ही खर्च कर सके हैं.
हर साल एक सांसद को मिलता है पांच करोड़
हर लोकसभा क्षेत्र के सांसद को क्षेत्रीय विकास के लिए सालाना पांच करोड़ रुपए मिलते हैं. एक सांसद को पांच साल के कार्यकाल में पच्चीस करोड़ रुपए मिलते हैं. इन पैसों से सांसद अपने क्षेत्र में इस्तेमाल कर सकता है. चाहे वह स्वास्थ्य योजना में इसे इनवेस्ट करें या फिर पीने के पानी, सड़क, एजुकेशन में भी इसका इनवेस्टमेंट कर सकता है. बिजली के लिए भी सांसद अपना पैसा दे सकते हैं. इसके अलावा सांसद किसी ऐसी परियोजना पर भी पैसा खर्च कर सकता है जो जनहित के लिए जरूरी हो.
सांसद क्षेत्र िनधि से खर्च
क्षेत्र - सांसद खर्च - बचा पैसा परसेंट यूटिलाइजेशन
गोरखपुर - प्रवीण निषाद - 0.85 4.2 16.02
बांसगांव - कमलेश पासवान - 16.43 2.42 93.91
कुशीनगर - राजेश पांडेय - 21.69 3.52 85.95
महराजगंज - पंकज चौधरी - 20.74 4.92 82.05
डुमरियागंज - जगदंबिका पाल - 19.63 0.75 98.15
देवरिया - कलराज मिश्र - 18.79 1.6 91.96
बस्ती - हरीश द्विवेदी - 17.76 5.22 78.92
संतकबीरनगर - शरद त्रिपाठी - 17.49 5.49 77.75
सलेमपुर - रविंद्र कुशवाहा - 17.44 5.45 75.75
DATA SOURCE - MPLADS