लोभ में विचारों की हत्या
याद करें तो कभी इस फिल्म में इरफान थे. अभी जो भूमिका जैकी भगनानी ने निभाई है, उसी भूमिका को इरफान निभा रहे थे. क्या उन्होंने इसी स्क्रिप्ट के लिए हां की थी या जैकी के आने के बाद स्क्रिप्ट बदली गई और उसका यह हाल हो गया? सोचने की बात है कि हर कलाकार किसी और का विकल्प नहीं हो सकता. हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के बेपरवाह रवैए की ओर भी यह फिल्म इंगित करती है. कैसे स्वार्थ और लोभ में विचारों की हत्या हो जाती है? कई बार सफल निर्माता की सोच मूल विचार पर थोपी जाती है तो उसका नतीजा वेलकम टू कराची के रूप में सामने आता है. हर फिल्म के निर्माण में पैसे, मेहनत और समय लगते हैं. ऐसी कोशिशों में सब व्यर्थ हो जाता है.
Welcome 2 Karachi:Comedy-Drama
Cast:Jackky Bhagnani, Arshad Warsi, Lauren Gottlieb
Director:Ashish R Mohan
निर्दोष यात्रा में हंसी के पल
दो लूजर शम्मी और केदार एक दुर्घटना की वजह से अनजाने ही कराची पहुंच जाते हैं. उन्हें भारतीय जासूस व आतंकवादी समझा जाता है. दोनों अलग-अलग किस्म के संगठनों के हाथों इस्तेमाल किए जाते हैं. उनसे कुछ ऐसा हो जाता है कि उन्हें पाकिस्तान पहचान भी मिलती है. गलतफहमी की इस निर्दोष यात्रा में हंसी के पल आते हैं. दोनों किरदारो की टिपपणियों में कटाक्ष भी रहता है, लेकिन निर्देशक उसे बढ़ाते या गहराते नहीं हैं. वे तुरंत किसी फूहड़ एवं हास्यास्पद स्थिति का सृजन कर जबरन हंसाने की कोशिश करते हैं. फिल्म में मोड़ से अधिक मरोड़ हैं, जो एक समय के बाद तकलीफदेह हो जाते हैं.
View on YouTube
फिल्म से वह उम्मीद धूल गई
अरशद वारसी अपनी काबिलियत से भी फिल्म का नहीं बचा पाते. दरअसल, उन्हें एक कमजोर कलाकार के साथ नाथ दिया गया है, इसलिए कामेडी की गाड़ी ढंग से चल ही नहीं पाती. केदार को गुजराती लहजा देने का आयडिया अच्छा था, लेकिन कलाकार को भी मेहनत करनी चाहिए थी. यंगिस्तान से जैकी भगनानी ने उम्मीद जगाई थी. इस फिल्म से वह उम्मीद धूल गई. अभिनेत्री और सहयोगी कलाकारों के लिए न तो पर्याप्त संवाद थे और न दृश्य. सही सोच और कल्पना न हो तो वीएफएक्स बुरा हो जाता है. वेलकम टू कराची उसका भी नमूना है.
Review by: Ajay Brahmatmaj
abrahmatmaj@mbi.jagran.com
Hindi News from Bollywood News Desk
Bollywood News inextlive from Bollywood News Desk