बॉलीवुड में ब्वॉय बॉन्डिंग मूवीज का एक बढिय़ा रिकॉर्ड है. 3 इडियट्स के बाद प्यार का पंचनामा ने इस मार्क को करीब-करीब छू लिया. सड्डा अड्डा भी इस मार्क तक पहुंच सकती थी, लेकिन एग्जिक्यूशन के मामले में ये पीछे रह गई और अपनी पिछली फिल्मों की तरह एंटरटेनमेंट नहीं कर पाई. स्टोरी छह यंगस्टर्स के इर्द-गिर्द घूमती है जो एक घर शेयर करते हैं. इस गैंग मेंं सफल (परिमल अलोक) सिर्फ एक सीधा-सादा लडक़ा है जो सिविल सर्विसेज के एग्जाम की तैयारी कर रहा है. बाकी के गैंग में हैं रजत (रोहिन रॉबर्ट), जोगी (रोहित अरोड़ा), एक अंडरग्रेजुएट इरफान (भौमिक सम्पत) जिसके बॉस ने उसकी रातों की नींद उड़ा रखी है, एक स्टेज एक्टर जो मूवी हीरो बनना चाहता है.


फिल्म की स्टोरी बताती है कि यूथ कैसे ईजिली डिस्ट्रैक्ट हो जाता है और कैसे गोल ना अचीव कर पाने पर ईजिली फ्रस्ट्रेट हो जाता है. डीसेंट स्क्रिप्ट, डीसेंट एक्टर्स के साथ इसका ह्यïूमर इसे एक देखने लायक फिल्म बनाता है. हालांकि डायरेक्शन ज्यादातर प्वॉइन्ट्स पर फीका नजर आता है.
हर बंदे की लाइफ का बड़ी कैजुअली टच किया गया है और इस वजह से ऑडिएंस किसी से खुद को कनेक्ट नहीं कर पाती. रोमांटिक पार्ट को भी बड़े अजीब तरीके से हैंडल किया गया है. कास्टिंग सही है लेकिन एक्टर्स के पोटेंशियल को पूरी तरह से एक्सप्लोर नहीं किया गया है. लडक़ों में  रोहित अरोड़ा, भौमिक सम्पत और करणवीर की परफॉर्मेंस बहुत ही बढिय़ा और नेचुरल है. फिल्म का एग्जिक्यूशन बेहतर होता तो फिल्म कुछ और होती. सही अप्रोच मगर गहराई की कमी.

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