कंट्री साइड लोकल किडनैपर मुन्ना मिश्रा (निखिल द्विवेदी) को दिल्ली की एक गैंगस्टर मॉल बाबू (ऋचा चढ्ढा) पुलिस कस्टडी में मिलती है. दोनों अपने शार्प क्रिमिनल माइंड से एक दूसरे को सर्पोट करते हैं और कस्टडी से भाग निकलते हैं. पुलिस को छुपने के लिए दोनों जो टाइम एक दूसरे के साथ बिताते हैं, उस दौरान मुन्ना को ये अहसास होता है कि उसे बाबू से प्यार हो गया है. अपने अपने रास्तों पर निकल जाने के बावजूद मुन्ना डिसाइड करता है कि वो बाबू को ढूंढेगा और दिल्ली की गलियों में अपने प्यार को तलाशते हुए उसे पता चलता है कि बाबू, डॉन राणा (दमनदीप सिंह) की गर्लफ्रेंड है लेकिन उसका इरादा नहीं बदलता.
Proudcer: Suryaveer Singh Bhullar
Director: Navneet Behal
Cast: Nikhil Dwivedi, Richa Chadda, Damandeep Singh
Rating: 2.5/5 star
मुन्ना भी राणा का गैंग ज्वाइन कर लेता है जहां बाबू को उसके प्यार का अहसास होता है और वो भी उसके प्यार में पागल हो जाती है. दोनों राणा की नाक के नीचे अपने अफेयर को जारी रखते हैं. राणा उनके मंसूबो से अंजान उनके काम के तरीकों से बेहद खुश है क्योंकि उसकी दौलत बढ़ रही है. लेकिन पुलिस बाबू और मुन्ना के बढ़ते क्राइम्स से परेशान है. इस बीच इन दोनों के हाथों एक पुलिस ऑफीसर का मर्डर हो जाता है. अब इन्हें अपने साथ साथ राणा को भी पुलिस से बचाना और छिपाना है. इस मौके पर राणा डिसाइड करता है कि वो बाबू को लेकर इंडिया छोड़ देगा. दोनों राणा को रास्ते से हटाने का प्लान बनाते हैं तभी पता चलता है कि राणा को उन दोनों के अफेयर की खबर लग गयी है. अब खुद को, अपने प्यार को बचाने का बस एक ही तरीका है राणा की मौत, लेकिन ये काम आसान नहीं है क्योंकि राणा भी उनके खून का प्यासा है.
इस बीच पुलिस से झड़प के दौरान उनको मौका मिल जाता है और वो राणा को मार डालते हैं. राणा तो खत्म लेकिन अब भी पुलिस उनके पीछे है. चूहे बिल्ली के इस खेल में दोनों को ही नहीं पता अगले ही पल क्या होगा. उनके पास एक दूसरे के साथ बिताने के लिए प्यार के दो पल भी नहीं है और हर मोड़ पर मौत उनका इंतजार कर रही है. ना जाने कब कौन किसे मात देगा. ये फिल्म की कुल कहानी है जिसे आप हजारों बार देख चुके हैं.
कहानी तो पुरानी है ही प्रेजेंटेशन में भी कोई नयापन नहीं है. गैंगस्टर्स और क्रिमिनल के प्यार में डायलॉग्स और सींस में जी भर कर बेवजह सेक्स और वल्गैरिटी परोसी गयी है. डायलॉग्स में देसीपन के नाम पर जो एक्सपेरिमेंट किए गए हैं वो कानों को अच्छे नहीं लगते. जैसे निखिल और ऋचा अलग अलग मौकों पर एक दूसरे से कहते हैं तुमसे I love you हो गया है जो कहीं से भी रेलिवेंट नहीं लगता. फिल्म में इटीमेट सीन आर्टिफीशियल लगे रहे हैं क्योंकि उनमें इंटेनसिटी बिलकुल नहीं है. सांग्स चलताउ हैं. बाकी अगर आपको टाइम पास या वेस्ट करना है तो फिल्म देख लीजिए.
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