कामुकता की खोज में लग जाता
हालांकि फिल्म में काफी पर्दों को खोलने का प्रयास हुआ है. इसमें सेक्स को काफी ओपेन तरीके से दिखाने के साथ ही इसकी सुरक्षा का ख्याला भी दिखा. इसमें वर्जित और शुद्ध बेलगाम विषयों के बीच में बड़ा ही बारीक अंतर दिखा. जो इसके कठिन प्रयासों के बाद इसमें दिखाया गया है. हंटररर में कई सारें वादे दिखाये गये हैं, लेकिन ये बाद में बदलते दिखायी देते हैं. हंटरर एक लड़के मंदार Pongshe की कहानी है. जो एक मिडिल क्लास फैमिली का लड़का है, लेकिन वह मध्यम वर्ग की सोच से खुद को दूर रखता है. ऐसे में जब वह बड़ा होता है तो वह अपनी कामुकता की खोज में लग जाता है. वह अपनी लालची जिज्ञासा को मिटाने के लिये निकलता है. तभी उसे एक सिपाही स्टेशन से ले जाता है और वहां पर वह तीन साल तक अपमान सहता है, लेकिन वह पीछे नहीं हटता है. काफी परेशान होने के बाद भी वह कामुकता की खोज जैसे अपने विजय विजय अभियान में लगा रहता है. इस बीच वह शादी के बाजार में जाने का प्लान करता है. वह बस से पहाड़ी के ऊपर जाता है जहां पर उसकी मुलाकात तृप्ति (राधिका आप्टे) से होती है.
Movie review: Hunterrr
Cast: Radhika Apte, Gulshan Devaiyah, Sai Tamhankar,
Director: Harshavardhan Kulkarni
यौन शरारतों के रूप में उथल फुथल
निर्देशक हर्षवर्धन कुलकर्णीं ने फिल्म की स्क्रिप्ट को काफी बारीकी से तैयार करने की कोशिश की है. जिससे फिल्म मुख्य बिंदु तक एक लड़के की समाज को विकसित करने की जिम्मेदारी को निभाने पर है. जिससे समाज मना करता है लेकिन वह समाज के विकास के लिये उसे बदलने की कोशिता है. जो कहानी को काफी इंट्रेस्िटंग बनाता है, लेकिन दुर्भाग्यवश फिल्म की कहानी भी मंदार की आत्मा की तरह कई जगहों पर भटकती दिखी. फिल्म के दूसरी ओर कुछ खास काम नहीं दिखता है.जिससे साफ है कि फिल्म का स्क्रिप्ट कुछ खास नहीं कमाल दिखा सकी . कहानी मंदार की यौन शरारतों के रूप में उथल फुथल करती दिखी.
View on YouTube
कास्िटंग काफी अच्छी
कुलकर्णी ने इसमें कई अद्भुत रीजन दिखाये. कहानी कई बार उलझती हुयी आगे पीछे होते दिखी. इसके अलावा इसमें कुलकर्णी ने मंदार की पुरस्कार को बिल्कुल कैच की तरह छोड़ते दिखे. हालांकि इस फिल्म की सबसे खास बात यह है कि इसकी कास्िटंग काफी अच्छी हुयी है. मंदार भी अपने कैरेक्टर में बिल्कुल रचा बसा दिखा. इसके अलावा फिल्म में मराठी घर भी कहानी को मजबूत बनाता दिखा. गुलशन देवैया भी भूमिका में फिट बैठते दिखे, लेकिन इन एक्िटंग बिल्कुल एकायामी दिखी. राधिका आप्टे ने तो बिल्कुल नेचुरल सा रोल प्ले किया. उन्होंने कहानी में जान डालने जैसा काम किया. वह बिल्कुल एक मार्डन औरत जैसी बिल्कुल यथार्थवादी भूमिका में उत्कृष्ट हैं. इसके अलावा साई ताम्हनकर बहुत अच्छा है. कुल मिलाकर फिल्म गुदगुदाने और हसांने में एक बेहतर भूमिका निभायेगी. अगर यह भी नहीं तो सेक्स के साथ एक परिपक्व फिल्म का इंतजार करिये.
Hindi News from Bollywood News Desk
Bollywood News inextlive from Bollywood News Desk