बांधने वाली फिल्म
जॉन फैबरू के निर्देशन में बनी फिल्म द जंगल बुक की कहानी के हर मोड़ से आप परिचित हैं इसके बावजूद फिल्म आपको अपनी सीट से हिलने का मौका नहीं देगी। बाद चाहे कहानी के प्रस्तुतिकरण की हो या फिर उसके स्पेशल इफेक्ट और एनिमेशन की हर जगह आप एक लाइफ टाइम एक्सपीरियेंस से गुजरते हैं। फिल्म तब और महत्वपूर्ण हो जाती है जब उसे चुनौती देने के लिए द जंगल बुक ओरिजंस के नाम से एक और फिल्म अगले ही साल दशर्कों के सामने आने के लिए तैयार हो। ऊपर से उस फिल्म में क्रिश्चियन बेल और बेंडिक्ट कंबरबेच जैसे बड़े नाम भी जुड़े हों। आखिर नयी कहानी की प्रतीक्षा में कोई पुरानी कहानी कोई देखे तो इसका जवाब है जॉन की ये फिल्म की कहानी के साथ उसको पेश करने का तरीका कितना खास होता है।
The Jungle Book
U/A; Adventure/Fantasy/Drama
Director: Jon Favreau
Cast: Neel Sethi, Bill Murray, Ben Kingsley, Idris Elba, Lupita Nyongo, Scarlett Johansson, Christopher Walken, Giancarlo Esposito
कहानी वही फील नयी
फिल्म की कहानी तो करीब करीब हर किसी की जानी पहचानी है। एक मासूम बच्चा जंगल में आ जाता है और वहां उसका पालन पोषण भेड़ियों के बीच होता है। और आखिर एक दिन वो इंसानों के बीच अपने घर लौट आता है। बच्चे मोगली के रूप में भारतीय मूल के नील सेठी ने अपने एक्सेंट के बावजूद अपनी भारतीय छाप को बनाये रखा है। बाकी का सारा माहौल भारत के ही किसी घने जंगल का अहसास कराता है। ऐसा बिलकुल नहीं महसूस होता कि हम किसी विदेशी धरती या जंगल के बीच हैं। हर चरित्र को दी गयी हिंदी और अंग्रेजी आवाज रोमांच कारी प्रभव छोड़ती है फिर चाहे शेरखान हो या बघीरा।
कमजोरी में छुपी मजबूती
फिल्म की सबसे बड़ी कमजोरी उसकी कहानी है और यही उसकी सबसे बड़ी ताकत भी है। यही वजह है कि जब बधीरा आखिरी में मोगली के भविष्य का ख्याल रखकर उसे जंगल के बाहर तक उसे छोड़ने जाता है और उसे समझाता है, तो आपके भीतर एक अजीब सा अहसास खदबदाता है। सिर्फ संवाद और सिनमेटोग्राफी आपको एक एनिमेटेड फिल्म में डूब जाने के लिए मजबूर कर देते हैं। एनिमेशन और वीएफएक्स टीम का काम तारीफ के काबिल है। फिल्म को ना देखना काफी कुछ मिस करने का अहसास करायेगी।
Review by : Johnson Thomas
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