दोहरे चरित्र में नायक से आगे है खलनायक
फिल्म फैन में शाहरुख खान का डबल रोल है और खास बात ये है कि इसमें ग्रे चरित्र वाला शाहरुख नायक से कही आगे निकल गया है। हालाकि उसकी दीवानगी कई बार ओवर लगती है पर उसके बिना फिल्म असर भी उतना नहीं होता। ये फिल्म शाहरुख के एक फैन की नहीं है बलकि तमाम सितारों के उन दीवानों की कहानी है जो अपने जुनून में ये भूल जाते हैं कि पसंद कहां खत्म होती है जुनून कहां से शुरू होता है।
Fan
U/A; Drama-thriller
Director: Maneesh Sharma
Cast: Shah Rukh Khan, Waluscha De Sousa, Shriya Pilgaonkar
क्या है कहानी
दिल्ली में सायबर कैफे चलाने वाला गौरव चान्दना (शाहरुख खान) सुपरस्टार आर्यन खन्ना (शाहरुख खान) का दीवाना है। गौरव की शक्ल भी आर्यन से मिलती-जुलती है। स्टेज पर उसकी नकल कर वह इनाम जीतता है और आर्यन से मिलने मुंबई चला आता है। होटल के उसी कमरे में वह ठहरता है जहां पर संघर्ष के दिनों में आर्यन रूका था।
गौरव एक युवा सितारे की इसलिए पिटाई कर देता है क्योंकि उसने आर्यन की बुराई की थी। पिटाई का वीडियो वह आर्यन को पहुंचाता है ताकि वह खुश हो सके, लेकिन इसके बदले में आर्यन उसे जेल की हवा खिला देता है। गौरव और आहत होता है, जब आर्यन उसे अपने पांच मिनट भी देने से इंकार कर देता है। उस पर जिद सवार हो जाती है कि आर्यन इसके बदले में उसे सॉरी कहे। नाराज गौरव दिल्ली पहुंचता है और अपनी दुकान बेच देता है। यह रकम हासिल कर वह आर्यन का पीछा कर लंदन जा पहुंचता है। उससे मिलती-जुलती शक्ल का फायदा उठाकर वह मैडम तुसाद में फूहड़ हरकत करता है। इसका जिम्मेदार आर्यन को समझा जाता है और पुलिस उसे गिरफ्तार कर लेती है।
गौरव इसके बाद उस अरबपति के यहां शादी में घुस जाता है जहां आर्यन परफॉर्म करने वाला था। वहां पर एक लड़की से गौरव बदतमीजी करता है और इसका भी जिम्मेदार आर्यन को समझा जाता है। आर्यन समझ जाता है कि यह गौरव की हरकत है। गौरव इसके बाद मुंबई में आर्यन के घर तक पहंच जाता है आर्यन की जीती ट्राफियां तोड़ देता है। अब सुपरस्टार अपने फैन के पीछे पड़ जाता है। उसे ये बताता है कि हद किसे कहते हैं।
लौट आया वही शाहरुख
फिल्म की कहानी सच के काफी करीब है। हालाकि कई सीन अति नाटकीयता के शिकार हैं। फिल्म में शाहरुख के उसी अंदाज की झलक है जिसके लिए लोगों ने उन्हें चाहना शुरू किया था। फिल्म में एक भी गाना नहीं है और रोमांटिक शाहरुख की कमी खटकती है। फिल्म में बाकी कलाकारों की कमी या अच्छाई पर उंगली रखना इसलिए मुश्किल है क्योंकि उनके लिए कुछ खास जगह बचती ही नहीं है। पर उन्होंने अपने किरदार की मांग को निभाने का पूरा प्रयास किया है।
Review by: Shubha Shetty Saha
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