सेक्‍सुअल एक्‍सप्‍लॉयटेशन का काला चेहरा
कैसे राष्‍ट्रीय और प्रादेशिक स्‍तर पर इन खिलाड़ियों का सेक्‍सुअल एक्‍सप्‍लॉयटेशन होता है ये भी फिल्‍म का एक अहम् हिस्‍सा है, पर मुख्‍य रूप से फिल्‍म बात करती है उन हालात की जिसमें ज्‍यादातर खिलाड़ी खेलों से जुड़ती हैं। अधिकांश का मुख्‍य उद्देश्‍य खेल या देश के जीत हासिल करने का कम और औसत सफल होकर सरकारी नौकरी पा जाने का ज्‍यादा होता है।    

Movie:  Saala Khadoos

Director:  Sudha Kongara Prasad

Cast: R. Madhavan, Ritika Singh, Mumtaz Sorcar

movie review: अच्‍छी पर अतृप्‍त छोड़ने वाली फिल्‍म है साला खडूस

नफरतों से बनती है कहानी
आदि (आर. माधवन) एक बदजुबान शख्‍स और अपमानित कोच है। उस पर सेक्‍सुअल हरैसमेंट का झूठा इल्‍जाम लगता है और उसे चेन्‍नई ट्रांसफर कर दिया जाता है। जहां कि स्‍टार मुक्‍केबाज है लक्ष्‍मी (मुमताज सरकार) लेकिन आदि को लगता है कि उसकी बहन मादि (रितिका सिंह) उससे कहीं बेहतर बॉक्‍सर है। अब आदि अपनी अधूरी तमन्‍नाओं को मादि के जरिए पूरा करना चाहता है, लेकिन मादि उतनी ही उलझी हुई शख्‍सियत है जितना की खुद आदि। दोनों एक दूसरे से नफरत करते हैं। इसी नफरत के साथ शुरू होती है उनकी बांडिंग।

बांधती नहीं है फिल्‍म
इस फिल्‍म की कहानी शानदार है अभिनय भी कमाल है पर फिर भी कुछ कमी सी खलती है। फिल्‍म आपको बांधती नहीं है। इसकी दो वजह समझ में आती हैं। पहली वजह फिल्‍म का सहज अनुमानित अंत, हर कोई फिल्‍म के शुरू होने के साथ ही उसे क्‍लाइमेक्‍स के बारे में आराम से अनुमान लगा लेता है और दूसरी समस्‍या है फिल्‍म में उस जुनून की कमी जो एक र्स्‍पोटस बेस्‍ड फिल्‍म की सबसे बड़ी जरूरत होती है। कुल मिला कर साला खडूस बेशक एक बार देखी जाने वाली अच्‍छी फिल्‍म है पर ये आखीर में आपको थोड़ा असंतुष्‍ट छोड़ देती है।

Review by : Shubha Shetty Saha

shubha.shetty@mid-day.com

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