संजू (इमरान हाशमी) एक एक्सपर्ट सेफ क्रैकर है पर वो अपनी इस क्रिमिनल लाइफ से अब रिटायर होना चाहता है. इसलिए वो डिसाइड करता है कि वो एक फाइनल बड़ा हाथ मार कर जुर्म से किनारा कर लेगा. इसके लिए वो पंडित (राजेश शर्मा) और इदरीस (नमित दास) के साथ हाथ मिलाता है और तय करता है कि वो बैंक लॉकर तोड़ेंगे ताकि लाइफ सिक्योर हो जाए और उन्हें कभी दोबारा ये काम ना करना पडे. एक सक्सेजफुल बैंक रॉबरी के बाद वो डिसाइड करते हैं कि संजू सारे पैसे को संभाल कर रख दे और तीन महीने बाद जब सारा मामला ठंडा पड़ जाएगा वो पैसों का बटवारा करके आराम से उन्हें इस्तेमाल करेंगे. तीन महीने बाद जब संजू के दोनो साथी लूट का अपना शेयर लेने आते हैं तो वो दोनों को पहचानने से इंकार कर देता है. पता चलता है इस दौरान हुए एक एक्सीडेंट में सीरियस इंजरी के कारण संजू अमनीशिया का शिकार हो गया है. यानि उसे कुछ भी पुराना याद नहीं यहां तक की वो ये भी भूल चुका कि कौन सी रॉबरी और कैसे पैसे. फाइनली इदरीस और पण्डित डिसाइड करते हैं कि वो दोनों संजू को ये याद आने तक कि उसने पैसे कहां छुपाये हैं उसके घर में ही रहेंगे जहां वो अपनी वाइफ नीतू (विद्या बालन) के साथ रहता है.

 

कहानी के सारे टिविस्ट एएड टर्न सस्पेंस के साथ साथ जो स्पॉनटेनियस कॉमेडी क्रिएट करते हैं वही इस फिल्मा की यूएसपी है. इमरान का ये जॉनर है वो इस तरह के रोल में मंझ चुके हैं क्योंकि कॉमेडी उनकी एक्टिंग से नहीं उनकी सिचुएशन से पैदा होती है. सभी एक्टर्स की टाइमिंग एकदम परफेक्ट है. विद्या बालन का पंजाबी एक्सेंट कमाल का है उनके एक्सप्रेशन इतने विटी हैं कि वो कुछ नहीं भी बोलतीं तो भी हंसी आने लगती है. लेकिन फिल्म में सिर्फ कॉमेडी नहीं है बल्कि ये कुछ सीरियस बातों से भी दो चार कराती है. सस्पेंस कुछ नहीं है फिर भी आप क्लाइमेक्स तक कुछ होने वाला है के एक्साइमेंट को फील करते हैं और यही इस फिल्म का कमाल है.

फिल्मी में म्यूजिक बहुत खास नहीं है लेकिन कहानी के साथ गुथे होने की वजह से सांग आपको बुरे नहीं लगते और ना ही फिल्म के पेस को डिस्टर्ब करते हैं. म्यूजिक डायरेक्टर अमित त्रिवेदी ने अपने काम को क्लास भले ही ना बनाया हो पर फिल्म के मूड के हिसाब से जैल जरूर किया है.

   

Director: Rajkumar Gupta

Cast:  Emraan Hashmi, Vidya Balan, Rajesh Sharma, Namit Das

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