चार दोस्त जिनकी कोई पहचान नहीं है वो अपनी पहचान बनाने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं जिसमें जाहिर है पैसों का खेल भी शामिल है और यही खेल इन चारों पर भारी पड़ता है. पहली बाजी में मिली जीत इन्हें बेखौफ कर देती है. लेकिन जिंदगी कोई खेल नहीं होती जिसे जीत हार से तौला जाए. बहुत जल्दी ही ये सच इनके सामने आता है. लेकिन तब तक कॉलेज लाइफ का खिलंदड़ापन और जीत का नशा इन्हें अपने साथ बहा ले जाता है.
पुलकित सम्राट फिल्मे में 'हनी' इन सबके बीच लीड तो करते हैं पर असली बाजी लगती है 'भोली पंजाबन' बनी ऋचा चढ्ढा के हाथ. मासूम 'लाली' यानि मनजोत सिंह देखने में भोला है पर बेवकूफ नहीं है लेकिन उसकी शान दिखाने की आदत उसे हमेशा मुश्किल में ले आती है जबकि 'चुचा' यानि वरुण शर्मा येड़ा बन कर पेड़ा खाने मे यकीन रखता है. इन सबसे अलग है फजल अली जो 'जफर' बन कर अपनी धुन में मगन रहता है और इनकी कांस्परेसी का हिस्सा बना रहता है.
सबने अपने पार्ट बखूबी निभाये हैं लेकिन इन सभी का रिफाइन होना अभी बाकि है. बिना किसी शक के ये सभी अपने लुक्स और अपीयरेंस से कॉलेज गोइंग लगते हैं लेकिन इनकी हरकते पूरी तरह इनके रोल को जस्टीफाई नहीं करतीं. सभी कहीं ना कहीं ओवर एक्टिंग के शिकार लगे हैं. फिल्म की कहानी में नयापन तो नहीं ही है कहीं कहीं सींस भी देखे देखे लगते हैं.
म्यूजिक की बात करें तो टाइटिल सांग 'फुक फुक फुकरे' सुनने में अच्छा लगता है. नो होप ठीक ठाक ही है. फिल्म में म्यूजिक राम संपत ने दिया है. फरहान अख्तर और रीतेश सधवानी ने फिल्म को टाइम पास या फुकरे अंदाज में प्रोड्यूस किया है और डायरेक्ट मनदीप सिंह लांबा के लिए अगर वेला डायरेक्टर वर्ड यूज हुआ है तो इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है, उनका असर फिल्म में वेलापंती वाला ही है.
Director: Mrigdeep Singh Lamba
Cast: Pulkit Samrat, Manjot Singh, Ali Fazal, Varun Sharma, Richa Chadda, Priya Anand, Vishakha Singh, Pankaj Tripathi,
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