फर्स्ट टाइम टाइम इंडिया को ओलंपिक गेम्स में पहचान दिलाने वाले एथलीट मिल्खा सिंह की लाइफ पर बेस्ड यह फिल्म उनकी जिंदगी के उस दौर से शुरू होती है जहां से वो सुकून से पलट कर देख सकते हैं. लेकिन आज जो कहानी कहने और दिखाने में आसान लगती है वो किन मुश्किलों से गुजरी थी यह फिल्म उसी अहसास की जर्नी है. इस को मिल्खा सिंह जी ने महज 1 रुपए में सेल कर दिया हो मगर सच तो ये है कि वो यादें अनमोल थीं. वो एक रुपए में इसीलिए दी गयीं क्योंकि उनकी कीमत चुकाना नामुमकिन है. फरहान अख्तर ने मिल्खा सिंह के करेक्टर को पर्दे पर पूरी शिद्दत के साथ जिया है और शायद इस काम में उनके भीतर छुपे डायरेक्टर उनकी पूरी हेल्प की है.
यंग मिल्खा की लाइफ की फर्स्ट बिलव्ड की छोटी सी स्पेशल अपीयरेंस में सोनम कपूर ने वाकई पंजाब के मासूम मिल्खा के एनर्जिटिक फेस को सामने लाने में हेल्प की है. पाकिस्तानी एक्ट्रेस मीशा सैफी का इससे बेहतर बॉलिवुड डेब्यु नहीं हो सकता है. शायद वो तमाम पाकिस्तानी एक्ट्रेसेज में सबसे बेहतर प्लेटफार्म पर प्रेजेंट की गयीं हैं. कहानी में बताने जैसा कुछ नहीं है क्योंकि वो मिल्खा सिंह के लाइफ का आइना है फर्क सिर्फ इतना है कि ये आइना इन शैडोज को कई साल बाद दिखा रहा था. मिल्खा सिंह ने कैसे फोर्थ प्लेस पर 1964 में रोम समर ओलंपिक में 400 मि. की रेस में अपना और अब तक का किसी भी इंडियन मेल बेस्ट परफार्मेंस दिया और सर्पोटस फील्ड में दुनिया के मैप पर इंडिया को बैंग के साथ सामने लाए इस लम्हे को फिल्म में देखते टाइम जो फील आता है वो ही इस फिल्म का अचीवमेंट है.
फिल्म का नाम 'भाग मिल्खा भाग' मिल्खा सिंह ने ही सजेस्ट किया था, ये उनके फादर के लास्ट वर्ल्ड थे जो उन्होंने अपने बेटे मिल्खा सिंह से कहे थे जब वो पार्टिशन के टाइम पाकिस्तान से अपनी लाइफ सेव करने के लिए वहां से भागे थे. वो उनकी लाइफ की लास्ट रेस साबित हो सकती थी और ओलंपिक्स में भी उनसे कहा गया था कि ये उनकी लाइफ की लास्ट रेस साबित हो सकती है और मिल्खा बने फरहान जवाब देते हैं दौड़ुंगा भी ऐसे ही. फरहान ने अपने करेक्टर को रियल बनाने के लिए अपने सारे अफर्ट लगाए हैं और वो दिख रहे हैं. फिल्म देखने के बाद आप कह सकते हैं कि इस रोल को उनसे बेहतर कोई और नहीं निभा सकता था.
राकेश ओमप्रकाश मेहरा का काम तो वैसे भी फुल डैडिकेशन के साथ होता है पर इस फिल्म में उन्होंने अपनी सोल तो दी ही है हार्ट और ब्रेन को भी सही बैलेंस के साथ यूज किया है. फिल्म दिल के करीब है पर दिमाग से बनायी गयी है और इसके हर फ्रेम में वो नजर आ रहा है. प्रसून जोशी ने स्क्रिप्ट को लिखते समय ध्यान रखा है कि कहानी में फिल्म को इंट्रस्टिंग बनाने वाले एलिमेंट तो रहे पर वो इतने ड्रामैटिक ना हों कि रियल ना लगें क्योंकि ये एक ऐसी कहानी है जिसका रियल लीड करेक्टर उसे जज करने के लिए मौजूद है. फिल्म में शंकर अहसान लॉय का म्यूजिक आपकी नसों में खून की तरह दौड़ेगा और आपको एक हिंदुस्तानी और उससे भी ज्यादा एक हृयूमन होने का फर्क महसूस कराएगा. जिंदा सांग सचमुच आपको बताता है कि आप सांस लेने से नहीं कुछ कर गुजरने के हौंसले से जिंदा कहलाते हैं. कुल मिला कर फिल्म मस्ट वाच है और अगर आप मूवी लवर हैं तो इस फिल्म को ना देख कर कुछ मिस करेंगे.
Director: Rakeysh Omprakash
Cast: Farhan Akhtar, Sonam Kapoor, Meesha Shafi, Yograj Singh, Divya Dutta, Prakash Raj, Pawan Malhotra, Rebecca Breeds
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