U/A; Drama-thriller
DIR: Raja Krishna Menon
CAST: Akshay Kumar, Nimrat Kaur, Purab Kohli
अक्षय बन जाते हैं लीडर
मेनन इस फिल्म में रंजीत काट्याल (अक्षय कुमार), बिजनेसमैन सनी मैथ्यू और कुवैत में रह रहे धनी और प्रभावी भारतीयों को लेकर कहानी गढ़ते हैं। माइग्रेंट कंट्री में रहते हुए रंजीत की लाइफ स्टाईल काफी अलग है, वह अपने आप को एक भारतीय से ज्यादा कुवैती कहना पसंद करता है। लेकिन जब कुवैत में स्ट्राईक्स शुरु हो जाती हैं और जब रंजीत अपने साथी भारतीयों को लाचार खड़ा देखता है तो वह अपनी सुरक्षा को ताक पर रखते हुए मुसीबत में फंसे लाखों भारतीयों के साथ खड़ा हो जाता है। वहां मौजूद सभी भारतीयों की जिंदगी बचाने का दायित्व रंजीत के कंधो पर आता है और वह अपने दोस्त के साथ मदद के लिए इंडियन ब्यूरोक्रेसी का दरवाजा खटखटाता है। आखिरकार रंजीत को एक तरह से ब्यूरोक्रेट संजीव कोहली (कुमुद मिश्रा) के रूप में उम्मीद की किरण दिखती है, जोकि भारतीयों पर तरस खाकर उन्हें सुरक्षित इंडिया भेजने का वादा करता है।
फिल्म को मिस नहीं कर सकते आप
यह अक्षय कुमार की अभी तक की सबसे बेस्ट परफॉर्मेंस है या नहीं, इस पर अलग-अलग मतभेद हो सकता है। लेकिन फिल्म में वह कूल, बेहतर बिजनेसमैन, इमोशंस व एक्शन के रूप में काफी बेहतर दिखे हैं। निम्रत कौर ने रंजीत की पत्नी का किरदार निभाया है जोकि पूरी फिल्म में कहीं भी ज्यादा प्रभावी नहीं दिखी, हालांकि एक सीन है जिसमें वह अपने पति के बचाव में दूसरे व्यक्ित से उलझ रही हैं। मेनन ने काफी कुशलता से फिल्म के प्लॉट को प्रस्तुत किया है, इसकी एडिटिंग भी क्रिस्प है जोकि हेमंती सरकार ने की है। वहीं फिल्म के डॉयलॉग काफी बेहतर और स्क्रिप्ट की मांग के अनुरुप हैं। प्रिया सेठ ने सिनेमेटोग्राफी में अच्छा काम किया है। ओवरऑल यह एक अच्छी फिल्म है जिसे मिस नहीं किया जाना चाहिए।
Review By : shubha.shetty@mid-day.com
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