feature@inext.co.in

KANPUR: रात में बारिश हुई थी और अब काले-काले बादल आसमान में इधर से उधर घूम रहे हैं; कभी-कभी छिटपुट बारिश की खूबसूरत छटा बिखेरते हुए। मैं बौर आए सेब के पेड़ के नीचे खड़ा हूं और सांसें ले रहा हूं। सिर्फ सेब का यह पेड़ ही नहीं, बल्कि इसके चारों ओर की घास भी आर्द्रता के कारण जगमगा रही है, हवा में व्याप्त इस सुगंध का वर्णन शब्द नहीं कर सकते। मैं बहुत गहरे सांस खींच रहा हूं और सुवास मेर भीतर तक उतर आती है।

मैं आंखें खोलकर सांस लेता हूं, मैं आंखें मूंदकर सांस लेता हूं, मैं यह नहीं बता सकता कि इनमें से कौन-सा तरीका मुझे अधिक आनंद दे रहा है। मेरा विश्वास है कि यह एकमात्र सर्वाधिक मूल्यवान स्वतंत्रता है, जिसे कैद ने हमसे दूर कर दिया है; यह सांस लेने की आजादी है, जैसे मैं अब ले रहा हूं। इस संसार मेरे लिए यह फूलों की सुगंध भरी मुग्ध कर देने वाली वायु है।

तोड़ो नहीं जोड़ो: भगवान बुद्ध

अपने अस्तित्व का अनुभव करना हो हमारा उद्देश्य: साध्वी भगवती सरस्वती

इस वायु में आर्द्रता के साथ-साथ ताजगी भी है। यह कोई विशेष बात नहीं है कि यह छोटी-सी बगीची है, जो कि चिडियाघर में लटके पिंजरों-सी पांच मंजिले मकानों के किनारे पर है। मैंने मोटर साइकिलों के इंजन की आवाज, रेडियो की चिल्ल-पों, लाउडस्पीकरों की बुदबुदाहट सुनना बंद कर दिया है। जब तक बारिश के बाद किसी सेब के नीचे सांस लेने के लिए स्वच्छ वायु है, तब तक हम खुद को शायद कुछ और ज्यादा जिंदा बचा सकते हैं।

-अलेक्सांद्र सोल्शेनित्सिन

Spiritual News inextlive from Spiritual News Desk