कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। Mother's Day 2023 : यूं तो हर दिन मां का होता है लेकिन मदर्स डे एक ऐसा दिन है जो मां के सम्मान के लिए या फिर उन्हें स्पेशल फील कराने के लिए होता है। हो भी क्यों न आखिर हर बच्चे का फर्ज होता है कि वह अपनी मां का ध्यान रखे। उसकी परवाह करे। उसकी रक्षा करे। उसके आगे हमेशा ढाल बनकर खड़ा रहे लेकिन समय के साथ कुछ चीजें थोड़ी मुश्किल होती जा रही हैं। आज वर्ल्ड की 5 ऐसी मम्मियां हैं जिन्हें बचाने की दुनिया के सामने एक बड़ी चुनाैती हैं। इसलिए इस मदर्स डे पर इन मम्मियों को बचाने की शपथ ली जा सकती है।

नदी

इन मम्मियों में पहली मां हमारी नदी है। नदियों को जीवनदायिनी के रूप में भी जाना जाता है। नदियां हमेशा से ही मनुष्यों के लिए मददगार रही हैं और आगे भी रहेंगी लेकिन आज इन्हें बचाना एक बड़ी चुनाैती है। नदियों का अस्तित्व खतरे में हैं। देश की तमाम नदियां आज सूखने की कगार पर हैं। इसके लिए बालू खनन जैसे किए जा रहे व्यवसाय जिम्मेदार हैं। इसके अलावा नदियों में जहरीला पानी भी प्रवाहित होना एक वजह है।

धरती

धरती के बिना मानव जीवन की कल्पना भी नहीं हो सकती है। धरती को मां का दर्जा मिला है। धरती अन्न, सब्जियां, फल आदि पैदा करती हैं लेकिन लोग आज तेजी से इसे गंदा कर रहे हैं। तड़पती मां की पुकार कोई नहीं सुन रहा। अच्छी फसल के लालच में आज रासायनिक उर्वरकों आदि के उपयोग से धरती के सीने को छलनी किया जा रहा है। यह धरती के साथ-साथ यह मानव जीवन के लिए भी बेहद खतरनाक है। धरती को बचाने के लिए सेव सॉइल जैसे मूवमेंट भी चल रहे हैं।

वनदेवी

वनदेवी की स्थितियां भी आज गंभीर हैं। वनदेवी को पेड़, पौधों और झाड़ियों के साथ-साथ जंगली जानवरों का घर कहा जाता है। वनदेवी भी एक मां ही है इसके बिना इंसानी जीवन भी अधूरा है। यह भोजन, हवा,फल, लकड़ी, पानी के साथ-साथ दवा आदि के लिए जड़ी बूटी मुहैया कराती हैं। हालांकि आज लोग वनदेवी पर कुल्हाड़ी चलाकर उन्हें खत्म कर रहे हैं। आरी चलाते समय वनदेवी की चीख नहीं सुनायी देती है। वनदेवी को बचाने के लिए कांतारा व भेड़िया जैसी फिल्में भी बन चुकी है।

मदर नेचर

मदर नेचर यानी कि प्रकृति के जितने करीब रहेंगे उतना ही अच्छा हेगा। जिदंगी खुशहाल रहेगी। अक्सर डाॅक्टर भी मानसिक रूप से परेशान लोगों को मदर नेचर के करीब जाने की एडवाइज देते हैं लेकिन आज लोग इसका महत्व नहीं समझ रहे हैं। मदर नेचर की दी चीजों की इंपॉर्टेंस नहीं समझ रहे हैं। नेचर की दी चीजों के बजाय प्राॅसेस फूड आदि खाना पसंद कर रहे हैं। इसलिए जो लोग मदर नेचर को बचाएंगे तो खुद को बचाएंगे।

बुजुर्ग मां

मां ममता और प्यार की मूर्ति होती है। मां के बिना जीवन अधूरा है। एक मां ही है जो अपने बच्चे से उस समय से प्यार करती है जब वह उसे देख भी नहीं पाती है। मां हर तकलीफ सहकर भी अपने बच्चे का बेहतर पालन-पोषण करने की कोशिश करती है। हालांकि आज तमाम ऐसे मामले आ रहे हैं जिससे यह साफ होता है मां खतरे में हैं। उम्र बढ़ने पर लोग मां को बोझ समझकर उसे घर से बाहर का रास्ता भी दिखाने में नहीं चूकते हैं।

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