कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। एकादशी व्रत हिंदुओं के लिए शुभ व्रतों में से एक है। यह भगवान विष्णु को समर्पित है। इस महीने भक्त मोहिनी एकादशी का व्रत करेंगे। यह एकदशी हर वर्ष वैशाख महीने में शुक्ल पक्ष के 11 वें दिन पड़ती है। मोहिनी एकादशी एक साल में 24 एकादशी व्रतों में से सबसे महत्वपूर्ण है। इस दिन भक्त एक समृद्ध जीवन व भगवान विष्णु का आशीर्वाद लेने के लिए पूरा दिन उपवास रखते हैं। इस साल यह एकादशी 22 मई को पड़ रही है और इसका समापन 23 मई को होगा। यह शुभ तिथि 22 मई की सुबह 9:15 बजे शुरू होगी और 23 मई को पूर्वाह्न 6:42 पर समाप्त होगी। एकादशी व्रत तोड़ने या फिर पारण का समय दोपहर 1:40 बजे से 4:25 बजे तक है।
पूजा विधि
माेहिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने से मनचाहा फल मिलता है। इस दिन सूर्योदय से पहले उठें। जल में तिल और कुश डालकर स्नान करें। साफ कपड़े पहनें। इसके बाद भगवान विष्णु को स्नान कराएं और उन्हें नए वस्त्र पहनाएं। उनका तिलक करें और फूल, धूप, तुलसी के पत्ते और फल चढ़ाएं। इस दाैरान ओम नमः भगवते वासुदेवाय और विष्णु मंत्र का 108 बार जाप करें। भगवान विष्णु को भोग लगाएं और आरती करके अपनी पूजा समाप्त करें।

महत्व
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार इस एकादशी पर भगवान विष्णु मोहिनी नाम की महिला के रूप में प्रकट हुए और तब से इसे मोहिनी एकादशी के रूप में जाना जाने लगा। भगवान विष्णु की पूजा करने और व्रत रखने से भक्तों को समृद्ध और शांतिपूर्ण जीवन का आशीर्वाद मिलता है।

व्रत नियम
मोहिनी एकादशी के एक दिन पहले यानी दशमी तिथि को व्रत शुरू हो जाता है। भक्तों को सूर्यास्त से पहले केवल सात्विक भोजन करना चाहिए। उपवास के दौरान अपशब्दों के प्रयोग से बचें। चावल और साबुत गेहूं के सेवन से बचें। द्वादशी को सूर्योदय तक एकादशी का व्रत चलता है।